यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर सूबे में सियासी घमासान तेज होता नजर आ रहा है। पश्चिमी यूपी में आरएलडी नेता जयंत चौधरी (RLD leader Jayant Choudhary) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के बीच जुबानी जंग जारी है। बीजेपी (BJP) व समाजवादी पार्टी गठबंधन (Samajwadi Party Alliance) पर निशाना साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है।
नई दिल्ली। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर सूबे में सियासी घमासान तेज होता नजर आ रहा है। पश्चिमी यूपी में आरएलडी नेता जयंत चौधरी (RLD leader Jayant Choudhary) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के बीच जुबानी जंग जारी है। बीजेपी (BJP) व समाजवादी पार्टी गठबंधन (Samajwadi Party Alliance) पर निशाना साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। तो वहीं शनिवार को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) की एकजुटता का उपहास उड़ाया था। इसके प्रतिउत्तर में जयंत चौधरी ने कहा कि देश के बड़े नेता मेरी चिंता कर रहे हैं। इसका मतलब मैं ठीक कर रहा हूं।
देश के बड़े नेता मेरी इतनी चिंता कर रहे हैं। अच्छा लगता है….
इसका मतलब है, मैं ठीक ही कर रहा हूँ!
— Jayant Singh (@jayantrld) January 30, 2022
बीजेपी पर हमला करते हुए जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने कहा कि बीजेपी वाले मेरे कोई रिश्तेदार हैं, जो मैं उनकी मान लूं। मैंने विवेकपूर्ण और अपने लोगों के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लिया है। भविष्य की और सकारात्मक राजनीति को देखते हुए मैंने फैसला लिया है। जिनसे मुकाबला है हमारा, वो निरंतर प्रयास कर रहे हैं कि हमारे बीच फूट पड़ जाए।
बता दें कि केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने शनिवार को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) की एकजुटता का उपहास उड़ाया है। उन्होंने कहा कि आजकल अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और जयंत साथ-साथ दिख रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ वोटिंग तक का साथ है। अगर गलती से भी इनकी सरकार बन गई तो जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) जी फिर कहीं नहीं दिखेंगे। तब फिर से आजम खान (Aazam Khan) और अतीक अहमद (Ateek Ahmed) सामने आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह इनके अखिलेश के टिकट बांटने से ही सबको साफ साफ समझ आ गया है।
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लोकतंत्र में वोट की शक्ति के महत्व को समझाने के लिए कबीरदास का दोहा उद्धृत किया। कबीरा लोहा एक है, गढ़ने में है फेर, ताहि का बख्तर बने, ताहि की शमशेर। दोहे के माध्यम से उन्होंने साफ किया कि मतदाता का एक वोट माफिया राज से मुक्ति भी दिला सकता है और माफिया राज वापस भी ला सकता है।