HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. महज ढ़ाई साल की उम्र में ये बच्ची बन गई कथावाचक, आज बाल विदुषी अनुष्का पाठक का हर कोई है दीवाना

महज ढ़ाई साल की उम्र में ये बच्ची बन गई कथावाचक, आज बाल विदुषी अनुष्का पाठक का हर कोई है दीवाना

यूपी (UP) के कुशीनगर जिले (Kushinagar District) नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक के ग्राम सभा सौरहा खुर्द के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में जन्मी अनुष्का पाठक (Anushka Pathak) बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के चलते चार वर्ष के उम्र से भागवत कथा व श्रीराम कथा करने के कारण रामभक्ति के लिए प्रचलित होने लगी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

कुशीनगर। यूपी (UP) के कुशीनगर जिले (Kushinagar District) नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक के ग्राम सभा सौरहा खुर्द के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में जन्मी अनुष्का पाठक (Anushka Pathak) बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के चलते चार वर्ष के उम्र से भागवत कथा व श्रीराम कथा करने के कारण रामभक्ति के लिए प्रचलित होने लगी। वर्ष 2024 में आठ वर्ष की उम्र में अनुष्का पाठक का प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार राष्ट्रपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President President Draupadi Murmu) के हाथों सम्मानित हुई।

पढ़ें :- Gautam Adani Bribery Fraud Case : 'मोदी-अदाणी एक हैं, तो सेफ हैं',राहुल गांधी ने अडानी के गिरफ्तारी व माधबी बुच को पद से हटाने की मांग

प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार (Prime Minister’s Child Award) विजेता बाल विदुषी अनुष्का पाठक (Winner child scholar Anushka Pathak) से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने आवास पर एक छोटा प्रसंग सुनाने को कहा। अनुष्का ने श्लोक… तृणादति सुनीचेन तरोरपि सहिष्णु ना अमानि ना मानदेय कृतनि यस्य सदा हरि: सुनया। भावार्थ बताया कि अपने आप को छोटा समझना चाहिए। वृक्ष से ज्यादा सहनशील रहना चाहिए। दूसरे को मान देते हुए अपने आप को मान पाने की इच्छा न रखते हुए, जो भगवान का नाम लेता है, वह संत है। उसकी कभी हार नहीं हीती। इसे सुन प्रधानमंत्री ने उसकी पीठ थपथपायी।

यूपी की अनुष्का पाठक (Anushka Pathak) को बाल पुरस्कार उन्हें कला और संस्कृति के क्षेत्र में यह पुरस्कार मिला है। अनुष्का ने ‘कथा वाचन’ के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया है। अनुष्का इतनी कम आयु में देशभर में कथा वाचन करती हैं। वो आध्यात्मिक जगत में एक हस्ती बन चुकी हैं।

कथावाचक बच्ची अनुष्का पाठक ने कहा कि मुझे लोगों को कथा सुनाना काफी पसंद है। इससे मुझे काफी शांति व प्रसन्नता मिलती है। भगवान के बताए हुए मार्ग पर चलना और लोगों को चलने के लिए प्रेरित करना ही मेरा जीवन का उद्देश्य है।

पढ़ें :- Gautam Adani Bribery Fraud Case : TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने पीएम मोदी पर कसा तंज,अडानी विवाद सुलझाने के लिए क्या ट्रंप से करेंगे बात?

ढ़ाई साल से शुरू कर दिया था कथा सुनाना

अनुष्का के पिता  वशिष्ठ पाठक (Father Vashishtha Pathak) ने बताया जब यह ढाई साल की थी तभी से उसने कथा सुनना शुरू कर दिया था। मेरे बड़े भाई बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और वेद ग्रंथ का हमेशा अध्ययन करते रहते हैं। बचपन से ही यह उनके सानिध्य में रही है। इसलिए उनका असर अनुष्का पर काफी पड़ा। जब बड़े भैया रामचरित्र मानस या अन्य ग्रंथ पढ़कर इसको सुनाते तो मात्र ढाई साल की उम्र में इसने कहा कि मैं भी कथा बोलूंगी।

उन्होंने आगे बताया जब हमने कहा कि ठीक है एक कथा बोलो तब उसने इतनी खूबसूरत कथा इतनी छोटी उम्र में बोली कि सब सुनकर आश्चर्यचकित रह गए। इतनी खूबसूरत बोलने की शैली, बोलने का तरीका, संयम व सटीक जानकारी और भाषा का ज्ञान। यह सारी चीज इसकी कथा में देखने को मिली।

सात्विक भोजन और सात्विक जीवन शैली है जरूरी

पढ़ें :- India Visit : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द करेंगे भारत का दौरा, क्रेमलिन प्रवक्ता ने दी जानकारी

अनुष्का ने बताया ज्ञान पाने के लिए सात्विक भोजन काफी जरूरी है। मैं कभी बाहर का नहीं खाती। इसके अलावा शुद्ध और अशुद्ध भोजन का ज्ञान होना चाहिए। क्योंकि शुद्ध भोजन से सी हमारे अंदर शुद्ध विचार आते हैं। क्योंकि मेरे पिताजी खुद पुजारी है। इसीलिए कुछ चीज उन्होंने मुझे समझाया है। मैं बाहर भी खेलने नहीं जाती। जब मन करता है तो घर में ही कुछ हल्का अपने बहनों के साथ खेल लेती हूं। अनुष्का ने आगे बताया मैं बड़ी होकर कथावाचक ही बनना चाहती हूं। अभी जो मैं कर रही हूं इसी को मैं आगे बढ़ाऊंगी। अभी मैं कई राज्यों में जाकर कथा करती हूं। जैसे गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल, बिहार, दिल्ली व राजस्थान।

समझाया जिंदगी जीने की कला

अनुष्का ने बताया जिंदगी अच्छी तरीके से जीने के लिए हमें भगवान राम से कुछ चीज़ सीखने की आवश्यकता है। जैसे जब उनका राजअभिषेक हो रहा था। तभी वह इतने प्रसन्न नहीं थे, बस चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी और जब दूसरे दिन उन्हें पता चला कि उनको 14 वर्ष का वनवास मिला है। तब भी वह बेचैन नहीं थे। बस चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। किसी भी परिस्थिति में एक समान रहना,आनंद में रहना यही जीवन जीने की कला है।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...