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निशिकांत दुबे ने की पीएम मोदी की शंकराचार्य से तुलना, बोले- ‘प्रधानमंत्री भी तपस्वी की तरह जीवन जी रहे हैं’

Nishikant Dubey Big Statement: शंकराचार्यों (Shankaracharya) की ओर से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Ram Mandir Pran Pratistha Ceremony) का बहिष्कार किए जाने के बीच झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद ने निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने एक बड़ा बयान दिया है। निशिकांत दुबे ने अब पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तुलना शंकराचार्य से की है। भाजपा सांसद ने कहा कि जिस प्रकार शंकराचार्य समाज के लिए जीते हैं, वैसे ही पीएम मोदी भी जीते हैं। 

By Abhimanyu 
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Nishikant Dubey Big Statement: शंकराचार्यों (Shankaracharya) की ओर से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Ram Mandir Pran Pratistha Ceremony) का बहिष्कार किए जाने के बीच झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद ने निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने एक बड़ा बयान दिया है। निशिकांत दुबे ने अब पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तुलना शंकराचार्य से की है। भाजपा सांसद ने कहा कि जिस प्रकार शंकराचार्य समाज के लिए जीते हैं, वैसे ही पीएम मोदी भी जीते हैं।

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गोड्डा में एक कार्यक्रम के दौरान निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) से प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों के विरोध पर सवाल किया गया। इस पर दुबे ने कहा, ‘कर्म प्रधान विश्व करी राखा यानी इंसान को कर्म से पहचाना जाता है, जिस प्रकार शंकराचार्य (Shankaracharya) समाज के लिए जीते हैं, अकेले रहते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी उसी तरह जीते हैं।

भाजपा सांसद ने आगे कहा कि पीएम मोदी 11 दिन का अनुष्ठान कर रहे हैं और उपवास रख रहे हैं। जैसा एक तपस्वी का जीवन होता है, वैसे ही पीएम मोदी भी अपना जीवन जी रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि 500 सालों तक चले संघर्ष के बाद आखिर वह ऐतिहासिक पल आने वाला है। पूरा देश उत्साहित है कि श्री रामलला मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। ऐसे में देश के शंकराचार्यों को प्राण प्रतिष्ठा का विरोध नहीं करना चाहिए।

बता दें कि ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेरश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimuktershwaranand Saraswati) ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि राम मंदिर अभी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं है। ऐसे में अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को अशास्त्रीय तरीके से किया जा रहा है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, भले ही बाकी के शंकराचार्यों ने इस पर कुछ नहीं बोला, लेकिन वह इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।

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