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Breaking News : मदरसों को मिल रही सरकारी फंडिंग रोक लगाने से कोर्ट का ‘सुप्रीम इंकार’, योगी सरकार को भी झटका

मदरसों को सरकारी फंडिंग मिलती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों को फंडिग रोकने की NCPCR की सिफारिश पर सोमवार को रोक लगा दी है। इसके साथ ही गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के बच्चे को सरकारी स्कूल भेजने पर रोक लगा दी है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। मदरसों को सरकारी फंडिंग मिलती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसों को फंडिग रोकने की NCPCR की सिफारिश पर सोमवार को रोक लगा दी है। इसके साथ ही गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के बच्चे को सरकारी स्कूल भेजने पर रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। तीन जजों की इस बेंच ने NCPCR की सिफारिश पर कार्रवाई करने से मना कर दिया है।

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बतातें चलें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई थी। सरकार के तरफ से उन्हें दी जाने वाली धनराशि को रोकने की सिफारिश की थी। इस मामले में आज सुनवाई करते हुए NCPCR की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने रोक लगा दी है।

योगी सरकार के फैसले पर भी लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने के यूपी सरकार के फैसले पर भी रोक लगाई है। दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  (NCPCR) ने शिक्षा के अधिकार कानून का अनुपालन नहीं करने पर सरकारी वित्त पोषित और सहायता प्राप्त मदरसों को बंद करने की सिफारिश की थी। बता दें कि योगी सरकार (Yogi Government) ने गैर-मान्यता प्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का निर्देश जारी किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) ने याचिका दायर की थी।

जानें NCPCR ने क्या की थी सिफारिश?

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बता दें कि 8 दिन पहले राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि मदरसों को दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए। ये राइट-टु-एजुकेशन (RTE) नियमों का पालन नहीं करते हैं। आयोग ने ‘आस्था के संरक्षक या अधिकारों के विरोधी: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसे’ नाम से एक रिपोर्ट तैयार करने के बाद ये सुझाव दिया था। NCPCR ने कहा था- मदरसों में पूरा फोकस धार्मिक शिक्षा पर रहता है, जिससे बच्चों को जरूरी शिक्षा नहीं मिल पाती और वे बाकी बच्चों से पिछड़ जाते हैं।

मदरसों को बंद करने नहीं, धनराशि पर रोक लगाने की सिफारिश  : NCPCR

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)  के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो (President Priyank Kanungo) ने कहा कि उन्होंने मदरसों को बंद करने के लिए कभी नहीं कहा बल्कि उन्होंने इन संस्थानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगाने की सिफारिश की क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने बच्चों को मदरसा के बजाय सामान्य विद्यालयों में दाखिला देने की सिफारिश की है।

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