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यूपी में ‘बुल्डोजर जस्टिस’ : SC के पूर्व जजों ने CJI को भेजी याचिका और की सुनवाई की मांग

प्रयागराज हिंसा (Prayagraj Violence) के मुख्य आरोपी जावेद के घर पर बुलडोजर चलने का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से लेकर हाई कोर्ट (High Court) की चौखट तक पहुंच गया है। बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर्ड जज समेत 12 लोगों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI ) को याचिका भेजी और मामले पर सुनवाई की मांग की है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। प्रयागराज हिंसा (Prayagraj Violence) के मुख्य आरोपी जावेद के घर पर बुलडोजर चलने का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से लेकर हाई कोर्ट (High Court) की चौखट तक पहुंच गया है। बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर्ड जज समेत 12 लोगों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI ) को याचिका भेजी और मामले पर सुनवाई की मांग की है।

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सीजेआई (CJI )  को चिट्ठी लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व जज जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी, जस्टिस वी गोपाला गौडा, जस्टिस ए के गांगुली, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस ए पी शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस के चंद्रू, कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मोहम्मद अनवर, वरिष्ठ वकील शांति भूषण, इंदिरा जयसिंह, चंदर उदय सिंह, आनंद ग्रोवर शामिल हैं।

बता दें कि बीते 10 जून को जुमे की नमाज के बाद प्रयागराज में जो हिंसा हुई, उसके मास्टरमाइंड बताए जा रहे जावेद मोहम्मद (Javed Mohammed) का घर प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी (Prayagraj Development Authority) ने 12 जून को महज पांच घंटे के भीतर ध्वस्त कर दिया। इस बुलडोजर कार्रवाई पर तमाम सवाल उठ रहे हैं. पूछा जा रहा कि अगर आरोपियों को इसी तरीके से सज़ा देनी है तो अदालतों की ज़रूरत क्या है?

चीफ जस्टिस को लिखे लेटर पिटिशन में कहा गया है कि मुहम्मद साहब के खिलाफ बीजेपी के प्रवक्ता के आपत्तिजनक बयान के बाद देश भर में प्रदर्शन हुए हैं। खासकर यूपी में प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन की इजाजत देने के बजाय यूपी पुलिस प्रशासन द्वारा लोगों पर हिंसात्मक और कुचलने वाली कार्रवाई कर रही है। लेटर में कहा गया कि बताया जाता है कि यूपी के सीएम की ओर से कहा गया था कि कानून को अपने हाथ में लेने वालों पर ऐसा एक्शन लिया जाए कि भविष्य में कानून को हाथ में लेने की हिम्मत न करें।

इसके साथ ही एनएसए और अन्य धाराएं लगाने की बात कही गई, जिसके बाद पुलिस की हिम्मत और बढ़ गई है और वह प्रदर्शनकारियों पर अवैध और बर्बर ऐक्शन ले रहा है और उन्हें प्रताड़ित कर रहा है। सोशल मीडिया पर विडियो दिख रहा है जिसमें पुलिस कस्टडी में लोगों को पीटा जा रहा है। अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों को दौड़ाकर पीटा गया है। सत्ता में जो प्रशासन है वह इस तरह की बर्बर कार्रवाई नहीं कर सकता है। इस तरह से नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है और संविधान का मजाक बन रहा है। लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट लोगों के अधिकारों का गार्जियन है और उसने पहले भी कई बार संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से लेटर पिटिशन में गुहार लगाई गई है कि यूपी में पुलिस और स्टेट अथॉरिटी के कारण जो कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी है, उस पर संज्ञान ले। लेटर में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम करोड़ लोगों के संवैधानिक अधिकार के रक्षा के मामले को देखेगा।

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