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Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को घी का भोग लगाकर का ऐसे करें आरती

Chaitra Navratri 2023 :  नवरात्रि (Navratri) में नव देवियां अलग अलग दिनों में अपने विशेष गुणकारी प्रभाव के कारण भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाये रखती है। प्रत्येक देवी का एक गुणाकार महात्म होता है। प्रत्येक दिन की देवियों का स्वरूप और स्वभाव भी अलग-अलग है। ज्योतिषाचार्य  गोरखनाथ मिश्र (Astrologer Gorakhnath Mishra) के मुताबिक मानव जीवन विभिन्न स्वभाव एवं विचारों के आधार पर चलता है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Chaitra Navratri 2023 :  नवरात्रि (Navratri) में नव देवियां अलग अलग दिनों में अपने विशेष गुणकारी प्रभाव के कारण भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाये रखती है। प्रत्येक देवी का एक गुणाकार महात्म होता है। प्रत्येक दिन की देवियों का स्वरूप और स्वभाव भी अलग-अलग है। ज्योतिषाचार्य  गोरखनाथ मिश्र (Astrologer Gorakhnath Mishra) के मुताबिक मानव जीवन विभिन्न स्वभाव एवं विचारों के आधार पर चलता है। भक्तगण यदि पूरी निष्ठा से देवियों की पूजा या साधना करते हैं तो ये देवियां अपना आशीर्वाद भक्तजन पर बनाये रखती है। सभी देवियां अपने विशेष गुणों को अपने आशीर्वाद के साथ प्रसाद रुप में भक्तजन को देती रहती है। नाै देवियों में पहला रूप मां शैलपुत्री (Maa Shailaputri) का है। मां के चरणों मे गाय का शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए। इससे शरीर से रोग दूर हो जाते हैं।

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शैलपुत्रीः- वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रर्धकृतशेखराम्।
वृषारुढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।

हिमालय की वादियों में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री ( Shailaputri)पड़ा है। ये स्वाभिमान एवं दृढ़ता की प्रतिरुप मानी जाती है। मां शैलपुत्री (Maa Shailaputri) का वाहन वृषभ है देवी के दायें हाथ में त्रिशूल रहता है और बायें हाथ में कमल का पुष्प रहता है। एक पौराणिक कथानुसार यज्ञ में अपने पति का अपमान न सहन कर सकी थीं और योगानि द्वारा अपने को जलाकर भष्म कर लिया। इस बात से दुखी होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ का विध्वंश कर दिया। यही सती अगले जन्म में शैल राज हिमालय की पुत्री के रुप में जन्मी और शैलपुत्री (Shailaputri) कहलायी बाद में इनका विवाह शिव जी के साथ हुआ। मां शैलपुत्री (Maa Shailaputri)की पूजा से स्वाभिमान एवं दृढ़ता में वृद्धि होती है।

मां शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

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शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पाव।

ऋद्धि- सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवा करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पूजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

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घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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