Chandrayaan-3 Landing LIVE : इसरो (ISRO) का 'चंद्रयान-3 मिशन ' (Chandrayaan-3 Mission) चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रचने के लिए पूरी तरह तैयार है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाला लैंडिंग मॉड्यूल आज शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास टचडाउन करने वाला है।
Chandrayaan-3 Landing LIVE : इसरो (ISRO) का ‘चंद्रयान-3 मिशन ‘ (Chandrayaan-3 Mission) चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रचने के लिए पूरी तरह तैयार है। लैंडर (Vikram) और रोवर ( Pragyaan) वाला लैंडिंग मॉड्यूल आज शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र (South Polar Region) के पास टचडाउन करने वाला है।
चंद्रमा मिशन : 14 दिन
– लैंडर और रोवर का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस का है, और एक चन्द्र दिवस लगभग 14 पृथ्वी दिवस के बराबर होता है। हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है कि विक्रम और प्रज्ञान एक और चन्द्र दिवस में काम कर सकते हैं।
– चंद्रमा पर रात के समय तापमान माइनस 1800 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
आज शाम को क्या होगा ?
– विक्रम को दोपहर 3.45 बजे तक पूरा निर्देश फीड कर दिया जाएगा।
– सबसे पहले लैंडर मॉड्यूल की स्पीड कम करने के लिए चार थ्रस्टर इंजनों की रेट्रो फायरिंग की जाएगी।
– इसके बाद विक्रम लैंडर की पावर्ड ब्रेकिंग शाम 5.45 बजे शुरू होगी। वैज्ञानिक इसे 17 मिनट का खेल कहते हैं क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक होगी।
– चन्द्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए विक्रम की हॉरिजोंटल गति को 30 किमी की ऊंचाई पर 1.68 किमी प्रतिसेकेंड से लगभग शून्य तक कम करना बड़ी चुनौती है।
– चंद्रमा से 6.8 किमी की ऊंचाई पर दो इंजन बंद हो जाएंगे। अन्य दो इंजन विक्रम को नीचे उतरते समय और धीमा करने के लिए रिवर्स थ्रस्ट देंगे।
– चन्द्रमा से 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर, विक्रम के सेंसर अंतिम लैंडिंग से पहले बाधाओं की जांच करने के लिए सतह को स्कैन करेंगे। यदि सेंसर लैंडिंग स्थल पर कोई पहाड़ी या बोल्डर देखते हैं तो यह बेहतर लैंडिंग स्थल तक 150 मीटर तक पीछे जा सकता है।
– लैंडिंग शाम 6.04 बजे निर्धारित है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो विक्रम के चंद्रमा की सतह पर स्थापित होने के बाद सतह की तस्वीरें लेने और दो ऑनबोर्ड उपकरणों के साथ प्रयोग करने के लिए एक रोवर को चंद्र सतह पर छोड़ेगा।
– लैंडिंग स्थल पर पावर्ड डिसेंट के बाद, लैंडर का रैंप खुलेगा और बाहर आने वाले रोवर की तैनाती होगी।
– इसके बाद, एक एक कर के सभी प्रयोग होंगे जिनमें से सभी को चंद्रमा पर केवल एक दिन में पूरा करना होगा।
– इसरो प्रमुख ने कहा कि लैंडर मॉड्यूल को लेटी पोजीशन से खड़ी पोजीशन में लाने की पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प है। इसके बारे में बहुत सारे सिमुलेशन किए जा चुके हैं। चन्द्रयान 2 में इसी को लेकर समस्या हुई थी। चंद्रयान -2 अपने चंद्र चरण में विफल हो गया था क्योंकि इसका लैंडर ‘विक्रम’ 7 सितंबर, 2019 को टचडाउन का प्रयास करते समय ब्रेकिंग सिस्टम में विसंगतियों के कारण चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।