सनातन धर्म जप तप अनुष्ठान की बहुत महत्व है। सदियों से तिथियों के अनुसार, देवी देवताओं की पूजा की जाती है। ऋषि मुनियों के द्वारा जगत कल्याण के लिए वर्ष भर यज्ञ अनुष्ठान किए जाते रहते है।
Chaturmas 2022: सनातन धर्म जप तप अनुष्ठान की बहुत महत्व है। सदियों से तिथियों के अनुसार, देवी देवताओं की पूजा की जाती है। ऋषि मुनियों के द्वारा जगत कल्याण के लिए वर्ष भर यज्ञ अनुष्ठान किए जाते रहते है। इसी श्रंखला में चातुर्मास व्रत का पलन किया जाता है। इसमें चार महीने जिसमें सावन, भादौ,आश्विन और कार्तिक का महीना आता है। चातुर्मास के चलते एक ही स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है। बर्षा ऋतु और बदलते मौसम से शरीर में रोगों का मुकाबला करने अर्थात रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,इन चार माह में भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु समेत सभी देव शयन करने चले जाते हैं। मान्यता है कि इस चार माह में केवल शिव परिवार की पूजा होती है। भगवान विष्णु की जगह भगवान शिव चार माह के लिए सृष्टि के पालनहार का कार्य संभालते हैं।देवउठनी एकादशी पर जब श्रीहरि विष्णु समेत सभी देव योग निद्रा से बाहर आते हैं, तो फिर से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। आइए जानते हैं चातुर्मास के प्रारंभ और समापन का समय।
चातुर्मास 2022
चातुर्मास का प्रारंभ: 10 जुलाई, दिन रविवार, देवशयनी एकादशी से
चातुर्मास का समापन: 04 नवंबर, दिन शुक्रवार, देवउठनी एकादशी पर