सनातन धर्म में भगवान की पूजा उपासना को सर्वोपरि माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास व्रत का पालन करने की विशेष महिमा है।
Chaturmas 2023 Start Date : सनातन धर्म में भगवान की पूजा उपासना को सर्वोपरि माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चातुर्मास व्रत का पालन करने की विशेष महिमा है। हिंदी पंचांग के अनुसार,चातुर्मास व्रत आषाढ़ मास(Chaturmas Vrat Ashad month) में देव शयनी एकादशी (Dev Shayani Ekadashi) से शुरू होता है और कार्तिक माह में उत्तरायण एकादशी (kartik maas mein uttarayan ekadashi) पर समाप्त होता है।चातुर्मास की अवधि में लगातार कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ते हैं। इसमें सावन सोमवार, रक्षाबंधन, नागपंचमी, गणेशोत्सव, पितृ पक्ष, नवरात्रि आदि शामिल हैं।
इस बार यह पर्व 5 माह का होगा। वर्ष 2023 में देवशयनी एकादशी 30 जून को है। इस दिन से भगवान विष्णु 5 माह के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। फिर 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान जागेंगे और फिर मांगलिक कार्य शुरू होंगे। चातुर्मास अवधि के दौरान भक्त लहसुन और प्याज में तैयार भोजन ग्रहण नहीं करते। भक्तगण इन चार महीनों के दौरान रामायण, गीता और भागवत पुराण के रूप में धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में गुणवत्ता समय बिताते हैं।
भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार,चातुर्मास की अवधि में ही आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु ने वामन रूप (bhagwan vishnu ka vaman roop) में अवतार लिया था। और राजा बलि से तीन पग में सारी सृष्टी दान में ले ली थी। उन्होंने राजा बलि को उसके पाताल लोक की रक्षा करने का वचन दिया था। फलस्वरूप श्री हरि अपने समस्त स्वरूपों से राजा बलि के राज्य की पहरेदारी करते हैं। इस अवस्था में कहा जाता है कि भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं।
भगवान शिव धरती का संचालन हैं
चर्तुमास को लेकर एक और भी मान्यता है और वह मान्यता यह है कि चर्तुमास के चार माह में भगवान शिव धरती का संचालन हैं। इस अवधि में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं
चर्तुमास के दौरान भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। इन चार महीनों में अगर कोई व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करता है तो उसे भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।