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सीएम मोहन यादव का संकल्प – हर खेत तक पहुंचे पानी, प्रदेश में 30 मार्च से 30 जून तक चलेगा ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’

जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट (Water Resources Minister Tulsiram Silawat) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) व मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) का संकल्प है कि हर घर स्वच्छ पेयजल और खेती के लिए हर खेत तक पानी पहुंचे।

By संतोष सिंह 
Updated Date

भोपाल। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट (Water Resources Minister Tulsiram Silawat) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) व मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) का संकल्प है कि हर घर स्वच्छ पेयजल और खेती के लिए हर खेत तक पानी पहुंचे। इसके लिए प्रदेश में केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाओं के बाद ताप्ती मेगा बेसिन परियोजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही प्रदेश के विभिन्न सिंचाई योजनाओं के माध्यम से सिंचाई के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए तालाब एवं अन्य जल स्त्रोतों के उन्नयन, विकास, गहरीकरण, जल स्त्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करने और उनके आसपास पौधा-रोपण आदि के उद्देश्य से प्रदेश में 30 मार्च 2025 से 30 जून 2025 तक “जल गंगा संवर्धन अभियान” चलाया जाएगा। उन्होंने प्रदेश में जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने का जनता से आह्वान किया।

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अभियान की तैयारियों के संबंध में बैठक ली

जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट ने प्रमुख अभियंता जल संसाधन कार्यालय भोपाल के सभाकक्ष में अभियान की तैयारियों के संबंध में बैठक ली। बैठक में अपर मुख्य सचिव जल संसाधन विभाग डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख अभियंता जल संसाधन श्री विनोद कुमार देवड़ा सहित सभी संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि जल संसाधन विभाग में प्रदेश में 32 वृहद, 120 मध्यम एवं 5 हजार 800 लघु जल संरचनाएं हैं। इनमें बनाए गए बांधों की नहर प्रणाली 40 हजार किलोमीटर की है जिनमें 16 हजार किलोमीटर पक्की और 24 हजार किलोमीटर कच्ची नहरें हैं। इन नहरों से सिंचाई के लिए खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है। अभियान के अंतर्गत जल संरचनाओं की आवश्यक मरम्मत, सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्य किया जाना है।

जल संरक्षण एवं संवर्धन की समृद्धशाली परंपरा

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जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन की समृद्धशाली परंपरा रही है। यहां की चंदेल कालीन जल संरक्षण प्रणाली न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध रही है। जल संसाधन संभाग छतरपुर में 44, टीकमगढ़ में 71 और पन्ना में 5 चंदेल/बुंदेलकालीन तालाब हैं। अभियान के अंतर्गत इन सभी का संरक्षण किया जाना है। जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट ने निर्देश दिए कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए छोटी-छोटी योजनाएं बनाकर कार्य कराया जाए। आगामी बारिश के पूर्व प्रदेश के सभी पुराने बांधों एवं जल स्त्रोतों की मरम्मत सुनिश्चित की जाए। इसके लिए गत वर्ष में जिन-जिन तालाबों/ जल स्त्रोतों में क्षति हुई उनकी सूची बनाई जाए तथा उन जल स्त्रोतों का विशेष ध्यान रखा जाए। बांधों की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय किए जाएं।

जल संसाधन मंत्री ने विभाग के सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देश दिए कि वे अपने बेसिन के अंतर्गत आने वाली जल संरचनाओं के संरक्षण एवं विकास का कार्य सुनिश्चित करें। जल संरक्षण एवं विकास कार्य में जन सहयोग लें। सीएसआर गतिविधि के अंतर्गत तालाबों को रख-रखाव के लिए गोद दिया जा सकता है। जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के इस कार्य में समाज के सभी वर्गों, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, धर्म गुरूओं, मीडिया आदि का पूरा सहयोग लिया जाए। जल संसाधन विभाग के अंतर्गत प्रदेश में 10 रिवर बेसिन (नदी कछार) हैं।

जल गंगा संवर्धन अभियान की प्रमुख गतिविधियां

सभी नहरों को विलेज मैप पर राजस्व विभाग की सहायता से मार्क किया जाना तथा विलेज मेप पर “शासकीय नहर” अंकित किया जाना। बांध तथा नहरों को अतिक्रमण मुक्त किया जाना। नहर के अंतिम छोर पर जहां नहर समाप्त होकर किसी नाले मे मिलती है, उस स्थान पर किलो मीटर स्टोन लगाया जाना। 40 हजार किलोमीटर की नहर प्रणाली में मनरेगा की सहायता से सफाई का कार्य किया जाना। जलाशयों में यदि रिसाव की स्थिति हो तो रिसाव रोकने के लिये पडल तथा आवश्यक हटिंग कार्य किये जा रहे हैं। तालाब के पाल (बंड) की मिट्टी के कटाव अथवा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पुनः निर्मित किये जाने का कार्य। तालाबों की पिचिंग, बोल्डर टो तथा घाट आदि की मरम्मत का कार्य। स्टॉप-डेम, बैराज, वियर में गेट लगाना तथा मेन-वॉल, साइड-वॉल, की-वॉल, एप्रॉन इत्यादि में मरम्मत/अतिरिक्त निर्माण कार्य। जल संरचनाओं के किनारों पर यथा संभव बफर – जोन तैयार किए जाकर जल संरचनाओं के किनारों पर अतिक्रमण को रोकने के लिये फेंसिंग के रूप में वृक्षारोपण का कार्य किए जाना। फ्लश बार की मरम्मत का कार्य किए जाना। स्लूस वैल की सफाई का कार्य किए जाना।

भोपाल : मध्यप्रदेश से अक्षय की रिपोर्ट

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