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Confrontation in Eastern Ladakh: भारत के सुझावों को मानने से China ने किया इनकार, 13वें दौर की वार्ता में नहीं निकला कोई समाधान

भारत (India) और चीन (China) के बीच रविवार को हुई 13वें चरण की सैन्य वार्ता (military talks) में पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh)  में टकराव (confrontation) के बाकी बिंदुओं पर चर्चा हुई।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Confrontation in Eastern Ladakh: भारत (India) और चीन (China) के बीच रविवार को हुई 13वें चरण की सैन्य वार्ता (military talks) में पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh)  में टकराव (confrontation) के बाकी बिंदुओं पर चर्चा हुई। वार्ता में चीन के समहत नहीं होने के कारण विवादों पर कोई हल नहीं निकल सका। खबरों के अनुसार, साढ़े आठ घंटे तक चली 13वें दौर की इस वार्ता के बाद सेना ने कहा कि बैठक में बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए चीन भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा दिए गए रचनात्मक सुझावों (creative suggestions) पर सहमत नहीं हुआ और इसीलिए यह बातचीत बिना किसी परिणाम के संपन्न हुई।

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हालांकि, दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने तथा संवाद कायम रखने पर सहमत हुए। भारत और चीन की सेना के बीच 13वें दौर की बातचीत के दौरान भारत ने चीन के सामने अपना पक्ष रखते हुए साफ तौर पर कहा कि एलएसी पर वर्तमान की यथास्थिति को बदलने के लिए चीन द्वारा किए गए एकतरफा प्रयासों के कारण ऐसे हालात पैदा हुए हैं।

खबरों के अनुसार, भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष से शांति बहाल करने के लिए बाकी के इलाकों में उचित कदम उठाने को कहा।सेना मुताबिक, ‘बैठक के दौरान लद्दाख गतिरोध को सुलझाने के लिए भारतीय पक्ष ने कई सकारात्मक सुझाव दिए। भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष से कहा, शांति बहाली के लिए वह बाकी के क्षेत्रों में उचित कदम उठाए। भारतीय पक्ष ने जोर देकर कहा कि बाकी के क्षेत्रों में लंबित मुद्दों के समाधान से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी. लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं दिखा और न ही उसने मामलों को सुलझाने के लिए कोई दूरगामी सुझाव ही दिया।

भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच ये बातचीत रविवार को सुबह करीब 10:30 बजे शुरू हुई और शाम 7 बजे तक चली। इस बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने की, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं।वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबित मुद्दों के समाधान पर केंद्रित रही।भारत का जोर इस बात पर है कि देप्सांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के बीच संबंधों के समग्र सुधार के लिए जरूरी है।

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