कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है, ये लाइनें मोदी सरकार (Modi Government) पर चरितार्थ होती हैं। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार (Modi Government) ने एक नया गुब्बारा छोड़ा है।
नई दिल्ली। कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है, ये लाइनें मोदी सरकार (Modi Government) पर चरितार्थ होती हैं। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार (Modi Government) ने एक नया गुब्बारा छोड़ा है। बताया जा रहा है कि पिछले 9 साल में 24.82 करोड़ भारतीयों को गरीबी से उबार दिया गया है, लेकिन असल में यह गरीब के खिलाफ एक बहुत बड़ी साजिश है। सरकार का यह दावा जमीनी हकीकत के विपरीत है, इसमें 4 बड़ी समस्याएं हैं।
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— Congress (@INCIndia) January 18, 2024
उन्होंने कहा कि पहला अगर गरीबों की संख्या घट गई है, तो उपभोग क्यों नहीं घट रहा है? दूसरा अगर गरीबी 11.7% तक गिर चुकी है, यानी सिर्फ 15 करोड़ लोग ही गरीब हैं तो सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन क्यों दे रही है? तीसरी नीतिआयोग (NITI Aayog) के इस दावे का समर्थन किसी भी थर्ड पार्टी ने क्यों नहीं किया? वर्ल्ड बैंक, IMF किसी ने तो यह बात मानी होती। चौथी नीति आयोग (NITI Aayog) के गरीबी नापने के स्थापित मानक हैं, फिर ऐसे मानकों को क्यों चुना गया जो सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं पर आधारित है?
सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने कहा कि हाल ही में एक ग्रोथ नंबर आया था, जिस पर सरकार सीना ठोंक रही थी। उसी GDP नंबर में उपभोग का भी डेटा सामने आया। डेटा दिखाता है कि इस वित्तीय वर्ष में उपभोग की वृद्धि दर 4.4% पर आ गिरी है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 7.5% थी। यानी उपभोग लगातार कम हो रहा है। लेकिन मोदी सरकार की मानें तो देश के 25 करोड़ लोग अब गरीब नहीं रहे। जब गरीब नहीं रहे तो फिर वे रोजमर्रा के सामान क्यों नहीं ख़रीद रहे? दरअसल, यह 25 करोड़ लोगों को ‘फ्री राशन’ से वंचित करने की एक साजिश है।
उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला। वर्ल्ड बैंक ने इस आंकड़े पर थर्ड पार्टी रिपोर्ट की पुष्टि की और इसे सही माना। लेकिन मोदी सरकार अपने ही मुंह मियां मिट्ठू बन रही है। यहां नीति आयोग (NITI Aayog) ने खुद ही अनुमान लगाया, खुद ही सर्वे कराया, खुद ही रिपोर्ट बनाई और खुद की रिपोर्ट को प्रचारित भी किया। फिर PM मोदी और उनके मंत्रिमंडल ने इस रिपोर्ट की वाहवाही की। असल में मोदी सरकार सिर्फ गरीबों का मखौल नहीं उड़ा रही, बल्कि वह पूरे देश का मजाक बना रही है।
सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinet) ने कहा कि गगनचुंबी इमारतों और AC कमरों में बैठकर, मनमुताबिक सरकारी योजनाओं के बल पर गरीबी से जुड़ा एक सर्वे रिलीज कर दिया गया। यह 10 साल की मोदी सरकार की विफलताओं का सबसे बड़ा प्रमाण है। जिसमें मोदी सरकार (Modi Government) गरीबी, भुखमरी, आर्थिक असमानताओं, बेरोजगारी और महंगाई का समाधान ढूंढने की बजाय, झूठ का सहारा ले रही है।