धनतेरस के दिन से से पांच दिवसीय दिवाली का उत्सव शुरू हो जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए।
Dhanteras mantra and strot path : धनतेरस के दिन से से पांच दिवसीय दिवाली का उत्सव शुरू हो जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए। धनतेरस के दिन श्री सूक्तम, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से घर में सुख-शांति और संपन्नता आती है। मां लक्ष्मी की पूजा के लिए कई मंत्र हैं, लेकिन ऋग्वेद में एक ऐसा सूक्त है, जिसको पढ़ने से माता लक्ष्मी आसानी से प्रसन्न होकर भक्त को धन वैभव का वरदान देती है।
इन मंत्रों के पाठ और जप करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही दरिद्रता दूर होती है और रागों का भी नाश होता है। इससे देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और घर में कभी अन्न धन की कमी नहीं होती।
धन्वंतरि मंत्र का 108 बार जाप करें
वहीं, इस दिन ओम धन्वंतरि देवाय नमः का 108 बार जाप करने से आयुष और आरोग्य बना रहता है। मान्यता है इस मंत्र का जाप करने से किसी भी तरह का रोग कष्ट दूर होता है।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
धन्वंतरि स्तोत्र
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम।
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम।
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।