डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय(Dr. Shakuntala Mishra National Rehabilitation University), लखनऊ (Lucknow) का आठवां दीक्षान्त समारोह (Eighth Convocation )सोमवार को मनाया गया। विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षान्त समारोह (Eighth Convocation)में मुख्य अतिथि शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (Shanti Swarup Bhatnagar Award) से सम्मानित एमेरिटस प्रो. विक्रम कुमार(Prof. Vikram Kumar), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (Indian Institute of Technology Delhi) ने दीक्षान्त समारोह का उदबोधन किया।
लखनऊ। डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय(Dr. Shakuntala Mishra National Rehabilitation University), लखनऊ (Lucknow) का आठवां दीक्षान्त समारोह (Eighth Convocation )सोमवार को मनाया गया। विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षान्त समारोह (Eighth Convocation)में मुख्य अतिथि शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (Shanti Swarup Bhatnagar Award) से सम्मानित एमेरिटस प्रो. विक्रम कुमार(Prof. Vikram Kumar), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (Indian Institute of Technology Delhi) ने दीक्षान्त समारोह का उदबोधन किया।
प्रो. विक्रम कुमार ने डिग्री व मेडल पाने वाले छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि आज छात्रों का खास दिन है। आपने जो कड़ी मेहनत की है उसने इस खुशी के पल की ओर आपको अग्रसर किया है। उन्होंने उन छात्रों तथा उनके माता-पिता को विशेष बधाई दी, जिन्होंने मेडल जीते हैं। उन्होंने कहा कि यह विशेष विश्वविद्यालय है जो दिव्यांगों को दुनिया का सामना करने और जीवन का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। हम सभी के पास कोई न कोई कमी होती है। दुनिया ऐसे लोगों के उदाहरणों से भरी पड़ी है, जो अत्यधिक दिव्यांग होने के बावजूद जिन्होंने महानता हासिल की है। जैसे स्टीफन हॉकिंग जो तीस साल तक लकवाग्रस्त थे और उन्हें बोलने के लिए वॉयस सिंथेसाइजर का इस्तेमाल करना पड़ा था फिर भी उनको कॉस्मोलॉजी का एक्सपर्ट माना जाता था।
नोकोलस व्युजेसिक जो बिना किसी हाथ और पैर के पैदा हुआ था। वह अब 40 साल का है और ऑस्ट्रेलिया में एक उपदेशक है। उन्होंने कहा कि मैं टीवी पर कौन बनेगा करोड़पति नाम का प्रोग्राम देखता हूं। हाल ही मैंने देखा कि हिमानी बुंदेला मशहूर शो केबीसी में आई और 1 करोड़ रुपये जीती है। वह आगरा में एक शिक्षिका हैं। 11 साल की उम्र में एक दुर्घटना के कारण लगभग अंधी हो गई थी।
उन्होंने कहा कि जब मैं अमेरिका में रहकर पीएचडी कर रहा था। तो मेरा जर्मन रूम मेट का एक पैर दूसरे से करीब एक इंच छोटा था, लेकिन वह हर दिन 5 मील दौड़ता था। कार्यक्रम में मंत्री, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार के अनिल राजभर ने दीक्षान्त समारोह में प्रतिभाग किया।
दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कर रही राज्यपाल व कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल ने अपने उद्बोधन में डिग्री व मेडल पाने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपने उत्कृष्ट कार्यों द्वारा राष्ट्र-निर्माण एवं विश्व मानवता के हित में देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय ऐसे विद्यार्थियों की शिक्षा, योग्यता को उत्कृष्ट कर रहा है, जो अपनी कुछ अक्षमताओं के रहते हुए भी अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय दिव्यांग छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास के माध्यम से समाज और विकास की मुख्य धारा में जोड़कर उन्हें प्रगति पथ प्रदान कर रहा है।
निःसंदेह इस विश्वविद्यालय से शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त उपाधि धारकों में एक नवीन ऊर्जा एवं आत्मविश्वास का संचार हो रहा है। प्रकृति ने यदि आपको कुछ चुनौतियां दी हैं तो आपको अपनी असीमित क्षमताओं के विकास और विस्तार का हौंसला भी दिया है। अभी टोक्यो में जो पैरालंपिक हुआ था उसमें भारतीय खिलाड़ियों ने 12 पदक जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। इन खिलाड़ियों को उत्तर प्रदेश में तथा राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्र सरकार ने बड़ी पुरस्कार राशि के साथ सम्मानित किया।
दीक्षान्त समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों से कहा आप जिस भी क्षेत्र में विशेष हो अपनी उसी योग्यता की उत्कृष्टता तक ले जाइये, आप में एक से अधिक क्षमताएं भी होंगी। कोई एक क्षेत्र ही सफलता का केन्द्र नहीं होता। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी श्री सुहास एल वाई का उदाहरण देते हुए कहा जो देश की वरिष्ठतम “सिविल सेवा’ की परीक्षा में सफल होकर आज एक आईएएस अफसर भी हैं। बैडमिंटन के विश्वस्तराय खिलाड़ी भी हैं।
आप सब आज यहां से उपाधि ग्रहण करके सामाजिक जीवन में अग्रसर हो जायेंगे। यहां समारोह में छात्र भी हैं और छात्राएं भी हैं। आज के इस समारोह में ही बहुत सी छात्राएं ऐसी भी होगी जो बहुत संघर्ष करके उच्च शिक्षा प्राप्त करने यहां तक पहुंची होंगी। हमने वो समय भी देखा है।
जब महिलायें अपनी मौलिक आवश्यकताएं उचित पोषण, उचित चिकित्सा सुविधा तक के लिए संघर्ष करती रही हैं, जिसका असर पूरे समाज में लिंगानुपात पर भी पड़ा। सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या रोकने के सख्त उपाय और परिवार नियोजन के प्रति बढी जागरूकता का नतीजा है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) 2020-21 के अनुसार देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जनसंख्या बढ़ी है।
यह अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है। विद्यार्थियों और शोधार्थियों से मेरी अपेक्षा है कि आप परिजनों, विश्वविद्यालयों और अपने राष्ट्र की उन्नति के लिए दृढ़ संकल्प के साथ निष्ठापूर्वक कार्य करें। हम सबका दायित्व है कि हम विश्व के मानचित्र पर भारतवर्ष को एक महत्वपूर्ण, प्रभावशाली, सक्षम, समर्थ एवं श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने में स्वयं को व अपने संसाधनों को अर्पित कर दें। इसके साथ ही मैं उपाधि प्राप्त युवा वर्ग को स्मरण दिलाती हूं कि इन उपाधियों ने समाज व राष्ट्र के प्रति आपके उत्तरदायित्व को और बढ़ा दिया है। अंत में उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के उन्नयन के प्रति समर्पित यह विश्वविद्यालय वैश्विक मानकों पर अपने आपको स्थापित करने में अवश्य सफल होगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह ने सभागार में उपस्थित आगन्तुकों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। इसके अतिरिक्त कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह, कुलसचिव अमित कुमार सिंह, विश्वविद्यालय की सामान्य परिषद, कार्यपरिषद , विद्यापरिषद के सम्मानित सदस्यगण; विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, विधायिका, कार्यपालिका के गणमान्य प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता की गरिमामयी उपस्थिति में समारोह का आयोजन किया गया।
दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय के उत्तीर्ण कुल 1629 विद्यार्थियों को उपाधि वितरित की गयी। कुल 115 विद्यार्थियों के मध्य 145 विद्यार्थियों को मेडल वितरित किए गये। कुल 115 पदकधारकों में 65 छात्राओं एवं 50 छात्रों ने पदक प्राप्त किए। बता दें कि 12 दिव्यांग विद्यार्थियों द्वारा भी अपनी मेधा का परिचय देते हुए पदक हासिल किए। डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में यूपी की राजयपाल आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को कौन बनेगा करोड़पति सीजन 13 की हिमानी बुंदेला को रुपये 21हजार का चेक, स्मृति चिन्ह व वस्त्र प्रदान किया।