उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव की जड़ें काफी गहरी हैं। सरकार के जीरा टॉलरेंस की नीति को मुकेश और उसका साथ देने वाले अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं, जिसके कारण सीबीआई चार्जशीटेड मुकेश की कंपनियों को करोड़ों के काम आसानी से मिल जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि, विभाग के अधिकारियों को मुकेश की करतूत का पता नहीं है, इसके बाद भी उनकी मेहरबानी NRHM घोटाले के आरोपी पर बनी हुई है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव की जड़ें काफी गहरी हैं। सरकार के जीरा टॉलरेंस की नीति को मुकेश और उसका साथ देने वाले अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं, जिसके कारण सीबीआई चार्जशीटेड मुकेश की कंपनियों को करोड़ों के काम आसानी से मिल जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि, विभाग के अधिकारियों को मुकेश की करतूत का पता नहीं है, इसके बाद भी उनकी मेहरबानी NRHM घोटाले के आरोपी पर बनी हुई है। भाजपा के कई विधायकों ने मुकेश श्रीवास्तव और उसकी कंपनियों की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक तक की लेकिन उसके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में लगता है कि NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव के लिए सभी नियम कानून दरकिनार कर दिया गया है।
भाजपा के पूर्व क्षेत्रीय मंत्री (ब्रज प्रदेश) राहुल राठौर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 12 जनवरी 2024 को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में राहुल राठौर ने NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उससे जुड़ी फर्म की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि, मैनपुरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी रमेश चन्द्र गुप्ता NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव व उनके परिजनों के फर्मों को करोड़ों रुपये का काम दे रहे हैं। इसके साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर चिकित्सकों से वसूली समेत अन्य आरोप भी इन पर लगाए थे।
राहुल राठौर का ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने निजी स्वार्थ में छह महीने में लगभग 05 करोड़ के टेण्डर/आर्डर मुकेश श्रीवास्वत और उसके परिवार से जुड़ी फर्मों को दिए हैं। इस पत्र पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को जांच के आदेश दिए थे। हालांकि, इसके बाद भी NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव का सिक्का अभी भी खूब चल रहा है।
इसके साथ ही, निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे ने उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से बीते फरवरी माह में मुकेश श्रीवास्वत और उसकी कंपनियों के खिलाफ शिकायत की थी। उनका आरोप था कि, NRHM घोटाले के आरोपी और उसके परिजनों की जुड़ी फर्म नाम पते बदलकर लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने इनकी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने का अनुरोध किया था। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत टेंडर सम्बन्धी कार्यों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रदेश के सभी सम्बन्धित अधिकारियों को सीबीआई चार्जशीटेड एवं उनसे जुड़ी फर्मों को टेंडर में प्रतिभाग नहीं करने हेतु सख्त निर्देश निर्गत जारी करने का भी अनुरोध किया था। विपुल दुबे ने कुछ फर्मों के बारे में भी बताया था, जो सीबीआई से चार्जशीटेड हैं।