Kisan Andolan 2.0 : किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी तथा अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन की तैयारी में हैं। जिसके लिए किसान संगठनों (Farmer Organizations) की ओर से मंगलवार को दिल्ली कूच का आह्वान किया है। पंजाब के किसान संगठन दिल्ली कूच के लिए ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर हरियाणा की तरफ निकल गए हैं। वहीं, किसानों की हरियाणा की सीमा में एंट्री को रोकने के लिए हरियाणा-पंजाब के सभी बॉर्डर पर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर धारा 144 लागू कर दी है।
Kisan Andolan 2.0 : किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी तथा अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन की तैयारी में हैं। जिसके लिए किसान संगठनों (Farmer Organizations) की ओर से मंगलवार को दिल्ली कूच का आह्वान किया है। पंजाब के किसान संगठन दिल्ली कूच के लिए ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर हरियाणा की तरफ निकल गए हैं। वहीं, किसानों की हरियाणा की सीमा में एंट्री को रोकने के लिए हरियाणा-पंजाब के सभी बॉर्डर पर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर धारा 144 लागू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार सुबह अमृतसर के ब्यास से हजारों की संख्या में किसान फतेहगढ़ साहिब (Fatehgarh Sahib) की ओर निकले हैं। पंजाब के किसान ट्रैक्टरों पर राशन-पानी लेकर निकले हैं। पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर का कहना है कि हम इस संघर्ष की शुरुआत ब्यास से करेंगे और फतेहगढ़ साहिब में आज रुकेंगे। हमारी मांगें वही हैं- एमएसपी गारंटी कानून, गन्ने को C200 के साथ जोड़ा जाना चाहिए।’ इसी बीच दिल्ली पुलिस ने किसी तरह की भीड़ जुटाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। साथ ही बॉर्डर पर कंटीले तार, क्रेन और लोहे की कीलें लगाई जा रही हैं। सीसीटीवी कैमरे (CCTV Cameras) और ड्रोन से भी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
दूसरी तरफ, किसानों के दिल्ली मार्च को रोकने के लिए किए गए इंतजामों को लेकर दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार पर जुबानी हमला बोला है। आप ने सोशल मीडिया मंच एक्स पोस्ट में निशाना साधते हुए लिखा, ‘मोटी-मोटी कीलें, सीमेंट के स्लैब, नदी में भी गहरे गड्ढे खोद डाले…किसानों से इतना डर क्यों? किसान कोई युद्ध के लिए नहीं बल्कि हक मांगने आ रहे हैं।’