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फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू का संसद में विशेष शक्तियों के इस्तेमाल से इनकार, बोले- समझौते से आगे बढ़ेंगे

फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू (Prime Minister Sebastien Lecornu) ने शुक्रवार को एक अहम ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वे बजट पास कराने के लिए फ्रांस के संविधान की विशेष धारा 49.3 (Article 49.3 of the French Constitution) का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू (Prime Minister Sebastien Lecornu) ने शुक्रवार को एक अहम ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वे बजट पास कराने के लिए फ्रांस के संविधान की विशेष धारा 49.3 (Article 49.3 of the French Constitution) का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसकी जगह वे संसद में विपक्ष और सहयोगी दलों से बातचीत और समझौते के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।

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जानें क्या है धारा 49.3?

फ्रांस के संविधान (French Constitution) की यह धारा सरकार को यह ताकत देती है कि वह संसद में वोटिंग कराए बिना ही सीधे कोई बिल पास कर सकती है। लेकिन इसका राजनीतिक खतरा यह है कि विपक्ष तुरंत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) ला सकता है। बता दें कि सेबेस्टियन लेकोर्नू (Sebastien Lecornu) से पहले के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू (Prime Minister François Bayrou) ने इसी धारा का उपयोग कर इस साल का बजट पास कराया था। हालांकि, इससे राजनीतिक संकट गहरा गया और उनकी सरकार गिर गई।

सेबेस्टियन लेकोर्नू का संदेश

39 वर्षीय सेंटरिस्ट नेता लेकोर्नू को पिछले महीने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (President Emmanuel Macron) ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि हर सांसद के पास शक्ति और जिम्मेदारी होनी चाहिए। सरकार को अब अपनी कार्यशैली बदलनी होगी और बहस के दौरान समझौते बनाने होंगे।’ उन्होंने यह भी साफ किया कि 2026 का बजट इस साल के अंत तक पास करना जरूरी है। इसके लिए वे खास तौर पर मध्यमार्गी वामपंथी दलों और दक्षिणपंथी ‘द रिपब्लिकन्स पार्टी से सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं।

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जानें किन मुद्दों पर होगा जोर?

प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू (Prime Minister Sebastien Lecornu) ने संसद में जिन बड़े मुद्दों को प्राथमिकता देने की बात कही, उनमें महिलाओं के लिए बेहतर पेंशन व्यवस्था, न्यायपूर्ण कर व्यवस्था, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाना, आव्रजन से जुड़ी समस्याओं का समाधान शामिल हैं। उन्होंने अभी तक अपने मंत्रियों की घोषणा नहीं की है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया आने वाले कुछ दिनों में पूरी होगी। अगले हफ्ते वे संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में अपनी सामान्य नीतिगत भाषण देंगे। अब जब सरकार ने 49.3 का सहारा न लेने का एलान कर दिया है, तो संभावना है कि अगले हफ्ते से संसद में बजट और अन्य मुद्दों पर खुलकर बहस शुरू होगी।

क्यों अहम है यह फैसला?

पिछले साल जून में राष्ट्रपति मैक्रों ने संसद का कार्यकाल खत्म कर समय से पहले चुनाव करा दिए थे। नतीजे में संसद बुरी तरह खंडित हो गई, यानी किसी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है। यही कारण है कि बजट पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। फ्रांस यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन वहां का बढ़ता घाटा और कर्ज निवेशकों को चिंतित कर रहा है। ऐसे हालात में लेकोर्नू की समझौते की राजनीति देश को अस्थिरता से निकालने का एक नया रास्ता हो सकती है।

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