HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. Ghulam Nabi Azad ने पार्टी छोड़ते ही निकाली भड़ास, कहा- ‘राहुल गांधी के आने के बाद मिली चापलूस दरबारियों को कमान’

Ghulam Nabi Azad ने पार्टी छोड़ते ही निकाली भड़ास, कहा- ‘राहुल गांधी के आने के बाद मिली चापलूस दरबारियों को कमान’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया है। इसके साथ ही सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 5 पन्नों का एक लंबा पत्र सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखकर अपनी नाराजगी भी पार्टी से जाहिर की है। यही नहीं कांग्रेस से 51 साल पुराना नाता तोड़ते हुए उन्होंने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर भी सीधा हमला बोला है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया है। इसके साथ ही सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 5 पन्नों का एक लंबा पत्र सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखकर अपनी नाराजगी भी पार्टी से जाहिर की है। यही नहीं कांग्रेस से 51 साल पुराना नाता तोड़ते हुए उन्होंने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर भी सीधा हमला बोला है।

पढ़ें :- बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार से मिले पीएम मोदी, पूछा- कैसे हो भाई? साझा किया वीडियो

गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  ने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से लेकर अब तक के दौर को याद दिलाते हुए सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)  से कहा कि आपकी अध्यक्षता में पार्टी अच्छे से काम कर रही थी और सबसे मशविरा लिया जाता था। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  ने कहा कि कांग्रेस की यह व्यवस्था राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की 2013 में एंट्री के बाद खत्म होती चली गई।

गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  ने लिखा, कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। इसका अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश पर कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। ऐसे बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की गरिमा को ही कमजोर कर दिया था।

राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने का जिक्र, कहा- बना हार की वजह

यही नहीं उन्होंने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए भी इस वाकये को जिम्मेदार ठहराया। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)   ने कहा कि तमाम मामलों से अलग यह एक ही वाकया हार की वजह बन गया। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  ने पिछले दिनों ही जम्मू-कश्मीर की कैंपेन कमेटी और राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था कि मैं 37 सालों तक कांग्रेस का महासचिव रहा हूं और मुझे इस तरह प्रदेश में जिम्मेदारी देना डिमोशन करने जैसा है। उसके बाद से ही गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)   के भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे।

पढ़ें :- वीर सावरकर एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल उड़ानें शुरू, कुआलालंपुर से एयर एशिया की फ्लाइट की लैंडिंग

इंदिरा, राजीव तक के रिश्तों का दिया हवाला, बोलीं- भारी मन से इस्तीफा

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे लेटर में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  ने कांग्रेस से अपने रिश्ते और गांधी परिवार की कई पीढ़ियों के साथ काम करने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने आपके दिवंगत पति राजीव गांधी (Rajiv Gandhi), इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) , संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के साथ काम किया था। आधी सदी से ज्यादा का वक्त मैंने कांग्रेस को दिया है, लेकिन अब बेहद भारी मन से मैं कांग्रेस के सभी पदों से तत्काल इस्तीफा देता हूं और पार्टी से भी अपने संबंध समाप्त कर रहा हूं। बता दें कि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  कांग्रेस पार्टी (Congress Party) से नाराज बताए जाने वाले जी-23 समूह (G-23 Group) के सबसे सीनियर नेता थे।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...