जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जब से जनपद गोंडा में पदभार ग्रहण किया है तब से वे लगातार ग्राम चौपाल तथा अन्य कार्यक्रमों के द्वारा सुस्त पड़ी सरकारी मशीनरी को जागृत करने के अपने अभियान में सक्रिय नजर आ रही हैं। उनकी इन्हीं कोशिशें का नतीजा है कि अब पीड़ित जनपदवासियों को सालों साल बाद न्याय मिल रहा है।
गोण्डा : जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जब से जनपद गोंडा में पदभार ग्रहण किया है तब से वे लगातार ग्राम चौपाल तथा अन्य कार्यक्रमों के द्वारा सुस्त पड़ी सरकारी मशीनरी को जागृत करने के अपने अभियान में सक्रिय नजर आ रही हैं। उनकी इन्हीं कोशिशें का नतीजा है कि अब पीड़ित जनपदवासियों को सालों साल बाद न्याय मिल रहा है।
ऐसा ही एक प्रकरण विकासखंड पंडारी कृपाल में सामने आया है। न्याय के लिए पिछले 6 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे यहां के एक किसान ने जिलाधिकारी नेहा शर्मा के समक्ष अपनी गुहार लगाई।किसान दिवस पर सामने आए इस प्रकरण पर जिलाधिकारी के आदेश पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की गई और लगभग 6 साल से मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे किसान को न्याय दिलाया।
2015-16 से नहीं मिला था मुआवजा
जनपद गोंडा के ग्राम जगदीशपुर वृंदावन विकासखंड पंडरी कृपाल निवासी श्री विनोद कुमार मिश्रा की जमीन को वर्ष 2015-16 में सरयू नहर खंड 4 कर्मा माइनर द्वारा अधिग्रहीत कर लिया गया था। इस दौरान उसके परिवार के सभी सदस्यों को मुआवजा मिल गया परंतु हाईस्कूल की मार्कशीट और खतौनी में इनके नाम में थोड़ा सा अंतर होने की वजह से बैनामा नहीं हो पाया। जिसका नतीजा है कि जमीन का अधिग्रहण होने के बावजूद किसानों को मुआवजा नहीं मिला । जब इन्होंने समस्या के निस्तारण के लिए अधिशासी अभियंता सरयू नहर खंड 4 से संपर्क किया तो उन्होंने प्रकरण में लीपापोती करते हुए किसान को इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर कर दिया।
किसान दिवस पर लगाई गुहार
लगभग 6 साल तक परेशान रहने के पश्चात पीड़ित किसान विनोद मिश्र ने विकास भवन सभागार गोंडा में दिनांक 21 जून 2023 को जिलाधिकारी नेहा शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित हुए किसान दिवस कार्यक्रम में जिलाधिकारी के समक्ष अपनी समस्या रखी। इस पर जिलाधिकारी ने जन कल्याणकारी रुख अपनाते हुए अधिशासी अभियंता से इस प्रकरण में अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा। उनके द्वारा बार-बार यही बताए जाने पर कि इनके नाम में भिन्नता है और वह जमीन शिकायतकर्ता किसान की नहीं है, जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता को फटकार लगाते हुए कहा कि जब अपीलकर्ता किसान के नाम बीजक बना है तो आप यह कैसे कह सकते हैं कि जमीन इनकी नहीं है।इस प्रकार जिलाधिकारी द्वारा किसान को सांत्वना देते हुए प्रकरण में स्पष्ट निर्णय लेने के लिए सरयू नहर खंड 4 के अधिशासी अभियंता को निर्देशित किया गया था।
किसान ने डीएम को दिया धन्यवाद किसान विनोद मिश्र ने बताते हैं कि वह सरकारी विभाग के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो गए थे। कई अधिकारी आए और चले गए लेकिन उनकी सुनवाई कहीं नहीं हुई। आखिरी उम्मीद के रूप में वह किसान दिवस में जिलाधिकारी नेहा शर्मा के समक्ष अपनी गुहार लेकर पहुंचे थे। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के प्रयासों से लगभग 6 साल बाद 03 अगस्त 2023 को आखिरकार उसे न्याय मिल ही गया और सरयू नहर खंड को आखिर स्वीकार करना ही पड़ा कि उक्त जमीन शिकायतकर्ता किसान की ही है। उसका बैनामा भी करा लिया गया है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के इस प्रकार के जन कल्याणकारी निर्णय से व्यवस्था से चोट खाए हुए जनपद के किसानों और गरीब तबके में एक नई उम्मीद तथा उत्साह का संचार हुआ है।