लखनऊ: गोमती नदी किनारे करीब 2500 करोड़ रुपये के फोरलेन ग्रीन कॉरिडोर सड़क प्रोजेक्ट की डीपीआर बनेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए आवास विकास को जिम्मेदारी दी गई है। शहरी यातायात पर सलाहकार अर्बन मास ट्रांजिट कंपनी भी सहयोग करेगी। इसके अलावा सिंचाई विभाग‚ नगर विकास विभाग और पीडब्ल्यूडी भी काम करेंगे। मुख्य सचिव आरके तिवारी ने शुक्रवार को इस प्रोजेक्ट के लिए एलडीए समेत संबंधित विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
एलडीए के सचिव पवन गंगवार ने बताया कि एलडीए अकेले इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं करेगा। सभी विभाग इसमें बजट के लिए सहयोग करेंगे। शहरी यातायात पर सलाहकार अर्बन मास ट्रांजिट कंपनी से भी सहयोग लिया जाएगा। ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट से शहर को होने वाले फायदे को देखते हुए बीते दिनों मुख्यमंत्री ने इसका निर्माण कराने के लिए सहमति दी थी। बजट का इंतजाम करना एलडीए के लिए मुश्किल होगा। ऐसे में आवास विभाग के अलावा सिंचाई विभाग‚ पीडब्ल्यूडी और नगर विकास विभाग भी सहयोग करेगा। सिंचाई विभाग बंधा बनाने का काम करेगा।
वहीं नगर विकास‚ आवास विभाग और पीडब्ल्यूडी सड़क बनाने और जमीन की उपलब्धता सुनश्चित कराएंगे। सचिव ने बताया कि ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर दो चरणों में काम होगा। पहले चरण में आईआईएम से शहीद पथ तक निर्माण होगा। इस पर करीब 1750 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं दूसरे चरण में शहीद पथ से किसान पथ तक निर्माण किया जाएगा।
इसे बनाने में करीब 750 करोड़ रुपये के खर्च का आकलन किया गया है। बाकी मिसिंग लिंक का निर्माण पूरा कर इसे ग्रीन कॉरिडोर बना दिया जाएगा। जहां फोर लेन सड़क नहीं होगी। वहां इसे फोर लेन बनाने के लिए चौड़ीकरण होगा। प्रस्ताव के मुताबिक़‚ गोमती के बाएं और दाएं तट पर हरियाली के बीच दो–दो लेन का कॉरिडोर तैयार होगा।
इसके अलावा दोनों सड़कों के दोनों तरफ पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बनाया जाएगा। पूरी रोड पर कोई ट्रैफिक लाइट न उपयोग हो‚ इसके लिए भी एलडीए ने डिजाइन में जरूरी बदलाव किए हैं। यह रोड आईआईएम‚ सीतापुर–हरदोई बाईपास से किसान पथ के पास एक्वाडक्ट तक बनानी प्रस्तावित है। इससे किसान पथ से सीधे सीतापुर–हरदोई बाईपास भी गोमती नदी होकर जाया जा सकेगा। पूरे रूट की लंबाई करीब 20 किमी. होगी।