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Gupt Navaraatri: जानिए कैसे हुई मां त्रिपुरसुंदरी की उत्पत्ति?, साथ ही जाने मां ललिता की आरती

गुप्त नवरात्रि का आज तीसरा दिन है। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां ललिता देवी की उपासना की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मां ललिता देवी की साधना काफी चमत्कारिक फल एवं मुश्किल मानी जाती है। दस महाविद्याओं में से एक मां ललिता देवी को षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी व राजराजेश्वरी के नाम से भी जानते हैं।

By आराधना शर्मा 
Updated Date

Gupt Navaraatri: गुप्त नवरात्रि का आज तीसरा दिन है। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां ललिता देवी की उपासना की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मां ललिता देवी की साधना काफी चमत्कारिक फल एवं मुश्किल मानी जाती है। दस महाविद्याओं में से एक मां ललिता देवी को षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी व राजराजेश्वरी के नाम से भी जानते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मां वर देने के लिए तत्पर और सौम्य और दया से पूर्ण हृदय वाली मानी जाती हैं। जानिए कैसे हुई मां ललिता देवी की उत्पत्ति, स्वरूप और आरती-

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मां ललिता देवी की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाए प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक, महादेव के हृदय में धारण करने वाली सती नैमिष में लिंगधारिणी नाम से विख्यात हुईं देवी मां को ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। एक अन्य कथा के मुताबिक, देवी की उत्पत्ति उस वक्त हुई जब भगवान द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा। यह स्थिति देखकर ऋषि-मुनि घबरा जाते हैं। पृथ्वी लोक में पानी भरने लगता है। तब सभी ऋषि-मुनि मां ललिता देवी की उपासना करते हैं। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां ललिता देवी प्रकट होती हैं तथा इस विनाशकारी च्रक को रोक देती हैं। फिर सृष्टि को नवजीवन प्राप्त होता है।

कैसा है मां का स्वरूप-
देवी त्रिपुर सुंदरी शांत मुद्रा में लेटे हुए महादेव की नाभि से निर्गत कमल-आसन पर विराजमान हैं। चार भुजाओं में देवी के पाश, अंकुश, धनुष और बाण हैं। तीन नेत्रों से युक्त एवं मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करती हैं। मान्यता है कि मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

ललिता माता आरती-

(जय शरणं वरणं नमो नम:)
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी!
राजेश्वरी जय नमो नम:!!
करुणामयी सकल अघ हारिणी!
अमृत वर्षिणी नमो नम:!!
जय शरणं वरणं नमो नम:
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी…!
अशुभ विनाशिनी, सब सुखदायिनी!
खलदल नाशिनी नमो नम:!!
भंडासुर वध कारिणी जय मां!
करुणा कलिते नमो नम:!!
जय शरणं वरणं नमो नम:
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी…!
भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी!
शरण गति दो नमो नम:!!
शिव भामिनी साधक मन हारिणी!
आदि शक्ति जय नमो नम:!!
जय शरणं वरणं नमो नम:!
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी…!!
जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:!
जय राजेश्वरी जय नमो नम:!!
जय ललितेश्वरी जय नमो नम:!
जय अमृत वर्षिणी नमो नम:!!
जय करुणा कलिते नमो नम:!
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी…!

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