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गुरु पूर्णिमा विशेष : गोरक्षपीठ में गुरु और शिष्य का संबंध रक्त से नहीं आत्मा से होता है , ये परंपरा बनी मिसाल

देशभर में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में हम आपको गुरु शिष्य की एक ऐसी जोड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपको आश्चर्य होगा। यहां गुरु और शिष्य का संबंध रक्त से नहीं आत्मा से है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

गोेरखपुर। देशभर में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में हम आपको गुरु शिष्य की एक ऐसी जोड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपको आश्चर्य होगा। यहां गुरु और शिष्य का संबंध रक्त से नहीं आत्मा से है।

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बता दें कि योग्य शिष्य के लिए गुरु उसके माता-पिता की भी भूमिका में होता है। कई पंथों में दीक्षा को शिष्य का पुनर्जन्म माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) गोरखपुर स्थित जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर (The Peethadhishwar of the Gorakshpeeth located in Gorakhpur) हैं, वह गुरु-शिष्य की इस परंपरा की मिसाल है।

गोरक्षपीठ (Gorakshpeeth)  के पीठाधीश्वर भी पीढ़ी दर पीढ़ी अपने गुरु से प्राप्त लोक कल्याण की इस परंपरा को लगातार विस्तार दे रहे हैं। नाथपंथ के संस्थापक माने जाने वाले गुरु गोरक्षनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथपंथी मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी।

गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ (Shilpi Brahmalin Mahant Digvijaynath) थे। उनकी सोच समय से आगे की थी। उस समय वह जान गए थे कि शिक्षा ही लोक कल्याण का सबसे प्रभावी जरिया है। इसके लिए उन्होंने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (Maharana Pratap Education Council) की स्थापना की।

उदात्तमना ब्रह्मलीन महंत (Udattamana Brahmalin Mahant) ने गोरखपुर विश्वविद्यालय (Gorakhpur University) की स्थापना के लिए अपने महाराणा प्रताप महाविद्यालय (Maharana Pratap College) का एक भवन भी दान में दे दिया था। उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा के लिए मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी। अपने गुरु द्वारा शुरू किए गए इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (Brahmalin Mahant Avedyanath) ने शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित लोक सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया।

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ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (Brahmalin Mahant Avedyanath) के शिष्य एवं वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने लोक कल्याण के लिए अपने दादागुरु द्वारा रोपे और अपने गुरु द्वारा सींचे गए पौधे को वटवृक्ष सरीखा बना दिया है। किराए के एक कमरे से एमपी शिक्षा परिषद के नाम से शुरू शिक्षा का प्रकल्प आज दर्जनों संस्थानों के साथ ही विश्वविद्यालय तक विस्तारित हो चुका है।

इलाज के लिए गोरक्षपीठ (Gorakshpeeth)  की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय (Shree Gorakshanath Hospital) की ख्याति पूरे पूर्वांचल में है। योग के प्रसार को लगातार गति मिली है। पीठ की गुरु परंपरा में लोक कल्याण के मिले मंत्र की सिद्धि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की मुख्यमंत्री की भूमिका में भी नजर आती है।

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