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हनुमान जयंती स्पेशल: शादीशुदा होने के साथ एक पुत्र के पिता थे ब्रह्मचारी बजरंगबली, जानिए पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी को भगवान सूर्य ने शिक्षित किया था। जब सूर्यदेव उन्हें तमाम विद्याएं सिखा रहे थे, तब बीच में वे धर्मसंकट में पड़ गए क्योंकि कुछ विद्या ऐसी थीं जो सिर्फ शादीशुदा पुरुष को ही दी जा सकती थीं। लेकिन हनुमान जी अविवाहित थे। ऐसे में सूर्यदेव ने उन्हें विवाह करने का प्रस्ताव दिया। सूर्यदेव के सुझाव को हनुमान जी ने मान लिया, लेकिन अब उनके लिए विवाह योग्य कन्या ढूंढने की समस्या थी।

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली: बजरंगबली ब्रह्मचारी हैं इस बात से हम सभी वाकिफ हैं लेकिन क्या आप जानते हैं वह शदीशुदा हैं और उनका एक पुत्र भी है। आज हनुमान जयंती के पर्व पर हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं। यह एक पौराणिक कथा है।

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पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी को भगवान सूर्य ने शिक्षित किया था। जब सूर्यदेव उन्हें तमाम विद्याएं सिखा रहे थे, तब बीच में वे धर्मसंकट में पड़ गए क्योंकि कुछ विद्या ऐसी थीं जो सिर्फ शादीशुदा पुरुष को ही दी जा सकती थीं। लेकिन हनुमान जी अविवाहित थे। ऐसे में सूर्यदेव ने उन्हें विवाह करने का प्रस्ताव दिया। सूर्यदेव के सुझाव को हनुमान जी ने मान लिया, लेकिन अब उनके लिए विवाह योग्य कन्या ढूंढने की समस्या थी।

तब सूर्यदेव ने बजरंग बली से कहा कि वे उनकी तेजस्वी और तपस्वी बेटी सुवर्चला से विवाह कर लें। इसके बाद हनुमान जी का विवाह सुवर्चला से हुआ और उन्होंने सूर्यदेव से पूरी शिक्षा ग्रहण की। विवाह के बाद सुवर्चला हमेशा के लिए तपस्या में लीन हो गईं। वहीं हनुमान जी भी विवाहित होने के बावजूद हमेशा ब्रह्मचारी रहे।

कौन हैं हनुमान जी के पुत्र

एक कथा के अनुसार जब अहिरावण राम-लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल पुरी ले गया था, तब राम-लक्ष्मण की सहायता के लिए पाताल पुरी पहुंचे हनुमान जी का सामना पाताल के द्वार पर अपने पुत्र मकरध्वज से होता है। जो देखने में बिल्कुल वानर जैसा दिखता है और हनुमान जी को अपना परिचय देते हुए कहता है कि मैं हनुमान पुत्र मकरध्वज हूं और पातालपुरी का द्वारपाल हूं।

मकरध्वज का परिचय सुनकर हनुमान जी क्रोधित हो जाते हैं, तब मकरध्वज उन्हें अपनी उत्पत्ति की कहानी सुनाते हुए कहते हैं कि जब आपने रावण की लंका दहन की थी, तब आपको तेज आग की लपटों की वजह से पसीना आने लगा था। आप पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए समुद्र में कूद गए। उसी समय आपके शरीर से पसीने की एक बूंद टपकी जिसे एक मछली ने अपने मुंह में ले लिया और वो गर्भवती हो गई। कुछ समय बाद अहिरावण के सिपाही समुद्र से उस मछली को पकड़ लाए। जब मछली का पेट काटा गया तो मेरी उत्पत्ति हुई। बाद में मुझे पाताल का द्वारपाल बना दिया गया।

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