उत्तर प्रदेश के हाथरस के सिंकदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में मंगलवार को हुए दर्दनाक हादसे में 121 लोगों की जान चली गई, जबकि बड़ी संख्या में घायलों का उपचार अस्पताल में चल रहा है। वहीं, इस घटना के बाद बाबा के सेवादार, निजी सुरक्षा कर्मी और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। आयोजकों के खिलाफ ही एफआईआर भी दर्ज की गई है लेकिन बाबा का इसमें नाम नहीं है।
Hathras News: उत्तर प्रदेश के हाथरस के सिंकदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में मंगलवार को हुए दर्दनाक हादसे में 121 लोगों की जान चली गई, जबकि बड़ी संख्या में घायलों का उपचार अस्पताल में चल रहा है। वहीं, इस घटना के बाद बाबा के सेवादार, निजी सुरक्षा कर्मी और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। आयोजकों के खिलाफ ही एफआईआर भी दर्ज की गई है लेकिन नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा का इसमें नाम नहीं है। ऐसे में अब सवाल उठना शुरू हो गया कि आखिर बाबा का एफआईआर में नाम क्यों नहीं है?
लोगों का कहना है कि आयोजकों के साथ ही बाबा पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। हालांकि, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। वहीं, बाबा के आश्रम पर बड़ी संख्या में पुलिस बल जरूर तैनात कर दी गयी है। दरअसल, सत्संग में भगदड़ के बाद आयोजकों पर भी काई कार्रवाई हो रही है। आरोप है कि, आयोजकों ने भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए केवल 80000 की भीड़ इकट्ठा होने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, करीब ढाई लाख से ज्यादा लोग सत्संग में शामिल हुए थे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रशासन को पता था कि अस्सी हजार की भीड़ जुटेगी तो उस तरह से इंतजाम क्यों नहीं हुए। इन सवालों का जवाब अभी तक कोई नहीं दे पाया है।
दर्दनाक हादसे के बाद किसी भी अफसर की जिम्मेदारी नहीं
वहीं, इस पूरे घटना के बाद अभी तक किसी अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं की गयी है। अफसर पर खुद को बचाने में भी जुटे हैं और आयोजकों पर पूरा ठिकरा फोड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री के साथ हाथरस पहुंचे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किए। भगदड़ में घायल लोगों से भी बात की। अफसरों से भी जानकारी ली लेकिन बाद में इन अफसरों ने जिम्मेदार केवल आयोजकों और बाबा के सेवादारों को ही ठहराया।
बाबा का नाम मुकदमे में क्यों नहीं?
सत्संग में भगदड़ मचने से हुई लोगों की मौत के मामले में दर्ज रिपोर्ट में बाबा का नाम क्यों नहीं है, यह सवाल भी मुख्यमंत्री और पुलिस अफसरों के सामने खूब गूंजे। पत्रकार अफसरों से बार-बार सवाल पूछते रहे कि क्या बाबा का नाम भी मुकदमे में शामिल किया जा रहा है। लेकिन इस पर किसी का कोई जवाब नहीं आया।