HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. फूड
  3. अगर आप को भी तला भुना खाने का शौक है और वह भी रिफाइंड और वनस्पति तेल में तो सावधान हो जाइए

अगर आप को भी तला भुना खाने का शौक है और वह भी रिफाइंड और वनस्पति तेल में तो सावधान हो जाइए

अमेरिका और यूरोप समेत विश्व के अधिकांश देशों ने कई साल पहले जिस खतरनाक ट्रांस फैट पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, उसी फैट का प्रयोग हमारे यहां अभी भी वनस्पति और रिफांइड तेल में भरपूर प्रयोग हो रहा है।

By प्रिया सिंह 
Updated Date

रिफाइंड ऑइल और वेजिटेबल ऑइल को सेहत के लिहाज से अच्‍छा बताने वाले विज्ञापन आते रहते हैं। इनके उपयोग को स्‍वास्‍थ्‍य से सही माना जाता है लेकिन एक शोध से पता चला है कि वनस्‍पति तेल का इस्‍तेमाल करने से मस्‍त‍िष्‍क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि इस वजह से देश में ह्रदय, मधुमेह, अल्जाइमर, कैंसर आदि घातक बीमारियां तेजी से देखने में आ रही हैं।

पढ़ें :- Benefits of Safed Musli: हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होती है सफेद मूसली

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रांस फैट को हमारे शरीर को दिनभर में मिलने वाली ऊर्जा के एक प्रतिशत हिस्से से कम रखने की अनुशंसा की है। जबकि इन तेलों में ट्रांस फैट की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानको से कहीं अधिक है।

दरअसल, गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एडं इनवायरमेंट (सीएसइ) ने वर्ष 2012 में करीब 30 ब्रांडेड तेलों पर अनुसंधान करके बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया था।  सीएसइ ने इन तेलों का अपनी प्रयोगशाला में परीक्षण किया।

परीक्षण में जो नतीजे सामने आए वे बेहद हैरान करने वाले थे। पाया गया कि हमें रसोई के वनस्पति और रिफांइड तेल से धीमा जहर मिल रहा है और हम हर रोज खतरनाक बीमारियों की गिरफ्त में जा रहे हैं।

बता दें कि इस संस्था ने वनस्पति और रिफांइड तेल में डेनमार्क के अंतरराष्ट्रीय मानक दो प्रतिशत से कहीं अधिक 5 से 23 प्रतिशत तक ट्रांस फैट के मौजूद होने की पुष्टि की थी।

पढ़ें :- लगातार आ रही हैं छींके और रुकने का नाम नहीं ले रही तो फॉलो करें ये टिप्स

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...