कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर लिखा है कि, धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, आख़िरकार आपने मणिपुर हिंसा पर सदन में अपनी बात रखी। हमें भरोसा है कि मणिपुर में शांति बहाली की गति तेज़ होगी, राहत शिविरों से लोग अपने घरों को लौटेंगे। उनका पुनर्वास होगा, उनके साथ इंसाफ होगा। आपने अगर अपना राजहठ और अहंकार पहले त्याग दिया होता तो संसद का कीमती समय बचता। अहम विधेयक अच्छी चर्चा के साथ पास होते।
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने गुरुवार को सदन में जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमक निशाना साधा। वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को गुरुवार लोकसभा की कार्यवाही से सस्पेंड कर दिया गया। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने कहा कि, हमें तकलीफ है कि मणिपुर हिंसा जैसे अभूतपूर्व मुद्दे पर विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव जैसे संसदीय हथियार का उपयोग करना पड़ा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने ट्वीट कर लिखा है कि, धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, आख़िरकार आपने मणिपुर हिंसा पर सदन में अपनी बात रखी। हमें भरोसा है कि मणिपुर में शांति बहाली की गति तेज़ होगी, राहत शिविरों से लोग अपने घरों को लौटेंगे। उनका पुनर्वास होगा, उनके साथ इंसाफ होगा। आपने अगर अपना राजहठ और अहंकार पहले त्याग दिया होता तो संसद का कीमती समय बचता। अहम विधेयक अच्छी चर्चा के साथ पास होते।
धन्यवाद प्रधानमंत्री जी,
आख़िरकार आपने मणिपुर हिंसा पर सदन में अपनी बात रखी। हमें भरोसा है कि मणिपुर में शांति बहाली की गति तेज़ होगी, राहत शिविरों से लोग अपने घरों को लौटेंगे। उनका पुनर्वास होगा, उनके साथ इंसाफ होगा।
आपने अगर अपना राजहठ और अहंकार पहले त्याग दिया होता तो संसद…
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— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 10, 2023
साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, हमें तकलीफ है कि मणिपुर हिंसा जैसे अभूतपूर्व मुद्दे पर विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव जैसे संसदीय हथियार का उपयोग करना पड़ा। लेकिन सदन का उपयोग भी आपने चुनावी रैली के रूप में किया। आखिरी दौर में लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का निलंबन किया गया जो बेहद अलोकतांत्रिक और दुर्भाग्यपूर्ण है। ये सत्ता के अहंकार और दुर्भावना को दर्शाता है। ये परंपरा संविधान और संसदीय लोकतंत्र दोनों के लिए बहुत घातक सिद्ध होगी। हम इसकी घोर निंदा करते हैं।