राष्ट्र प्रेरणा स्थल पर सजे मंच पर नए अंदाज में शाल ओढ़कर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रप्रेम का मंच सजाया। भाजपा के तीनों पितृ पुरुषों श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की भव्य प्रतिमाओं की छांव में बने मंच से मोदी ने हर कदम राष्ट्र के लिए समर्पित करने की सीख दी। इसके साथ ही अन्य महापुरषो को नमन कर जातीए गुलदस्ता सजा दिये। प्रधानमंत्री सभा को सबोधित करे हुए जहां महाराजा बिजली पासी को वीरता एवं सुशासन का प्रतीक बताया, वहीं समापन से पहले भगवान बिरसा मुंडा, राजा सुहेलदेव, निषादराज, राजा महेंद्र सिंह से लेकर चौरी चौरा के बलिदानियों का स्मरण कर जातीय एकता का धागा कसा।
राष्ट्र प्रेरणा स्थल पर सजे मंच पर नए अंदाज में शाल ओढ़कर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रप्रेम का मंच सजाया। भाजपा के तीनों पितृ पुरुषों श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की भव्य प्रतिमाओं की छांव में बने मंच से मोदी ने हर कदम राष्ट्र के लिए समर्पित करने की सीख दी। इसके साथ ही अन्य महापुरषो को नमन कर जातीए गुलदस्ता सजा दिये।
प्रधानमंत्री सभा को सबोधित करे हुए जहां महाराजा बिजली पासी को वीरता एवं सुशासन का प्रतीक बताया, वहीं समापन से पहले भगवान बिरसा मुंडा, राजा सुहेलदेव, निषादराज, राजा महेंद्र सिंह से लेकर चौरी चौरा के बलिदानियों का स्मरण कर जातीय एकता का धागा कसा। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि भाजपा अपने हार्डकोर एजेंडे को धारदार रखते हुए चुनावी गियर लगा चुकी है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी महोत्सव में वन्दे मातरम, भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारों के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरंग ऊंची बनी रही। परिसर में पहुंचे लगभग सभी के हाथ में तिरंगा लहराता नजर आया। पिछले दिनों वंदे मातरम को लेकर संसद में सियासी संग्राम चल रहा था। संसद में राजनीतिक पारा चढ़ने के बीच भाजपा ने इस विषय पर होमवर्क तेज कर दिया है, जिसकी एक झलक प्रेरणा स्थल पर भी नजर आई, लेकिन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं रक्षा मंत्री समेत सभी ने मंच से संबोधन के दौरान जातीय समीकरण मजबूत करने पर विशेष फोकस रखा।
बिजली पासी का जिक्र कर बढ़ाए राजनीतिक मायने
पूर्व डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा और सीएम योगी ने पहले संबोधन करते हुए बिजली पासी को योद्धा बताया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे और विस्तार दिया। उन्होंने 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ ही बिजली पासी के भी जन्म दिन का स्मरण करते हुए कहा कि ‘उनका किला यहीं पास में स्थित है। बिजली पासी ने विरासत और सुशासन की जंग छेड़ा था, जिसे पासी समाज आगे बढ़ा रहा है। वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने बिजली पासी पर डाक टिकट जारी किया था’ इन वाक्यों के बड़े राजनीतिक मायने हैं।
प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर लगाने की बात कहकर जहां आदिवासी समुदाय तक संदेश पहुंचाया, वहीं यूपी की राजनीति में महत्वपूर्ण फैक्टर बन चुके राजभर समाज को साधते हुए राजा सुहेलदेव के नाम पर बने स्मारक का जिक्र किया। अयोध्या में भगवान श्रीराम के साथ निषादराज के मंदिर की बात कहकर एक बड़े वर्ग से भावनात्मक कनेक्ट बनाने का संदेश दिया।
राजा महेंद्र सिंह से लेकर चौरी चौरा के बलिदानियों का जिक्र कर उन्होंने जातीय स्वाभिमान बढ़ाने के साथ ही राष्ट्रवाद का भी रंग भरा। सपा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ ही पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और तरुण गोगोई को भी राष्ट्रीय पुरस्कार देने की बात कहकर गैर-भाजपा दलों के समर्थकों के दिल में भी उतरने का प्रयास किया।