भारत में दबदबे वाले सेवा क्षेत्र की वृद्धि (Services Sector Growth) जनवरी में दो साल से अधिक के निचले स्तर पर पहुंच गई है। एक निजी सर्वेक्षण के बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में मांग में नरमी आई है, लेकिन यह मजबूत बनी हुई है और इसके कारण नियुक्तियों में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
नई दिल्ली। भारत में दबदबे वाले सेवा क्षेत्र की वृद्धि (Services Sector Growth) जनवरी में दो साल से अधिक के निचले स्तर पर पहुंच गई है। एक निजी सर्वेक्षण के बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में मांग में नरमी आई है, लेकिन यह मजबूत बनी हुई है और इसके कारण नियुक्तियों में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
एचएसबीसी (HSBC) का फाइनल इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जनवरी में गिरकर 56.5 पर आ गया, जबकि यह दिसंबर में 59.3 था। सेवा पीएमआई (PMI) के आंकड़ों का संकलन एसऐंडपी ग्लोबल ने किया। जनवरी का प्राथमिक सूचकांक 56.8 था। इस सूचकांक में 50 से ऊपर का स्तर बढ़त को ही दिखाता है। यह सूचकांक लगातार 42वें महीने तटस्थ स्तर 50 से ऊपर रहा।
सर्वे के अनुसार, ‘कुल मिलाकर नए कारोबार में वृद्धि कायम रही लेकिन वृद्धि दर 14 महीने में सबसे सुस्त रही। यह वृद्धि मजबूत मांग और प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर दाम पर सेवाएं मुहैया कराने के फैसले के कारण हुई। एचएसबीसी (HSBC) में भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने बताया कि ‘कारोबारी गतिविधि और नए कारोबार पीएमआई (PMI) सूचकांक नवंबर, 2022 और नवंबर, 2023 के बाद क्रमश: सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए।
उन्होंने बताया कि ‘गिरावट के रुझान को नए निर्यात व्यापार ने आंशिक रूप से रोका और नया निर्यात व्यापार वर्ष 2024 के अंत में गिरावट के बाद फिर बढ़ता गया। नया निर्यात व्यापार आधिकारिक आंकड़ों के अनुरूप है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत का सेवा निर्यात दिसंबर में बेहतर हुआ और इसने वैश्विक व्यापार में अधिक हिस्सेदारी हासिल की थी। सर्वे के प्रतिभागियों ने एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया और अमेरिका के अपने ग्राहकों से लाभ अर्जित किया। लिहाजा अंतरराष्ट्रीय बिक्री में तेजी से इजाफा दर्ज हुआ। जनवरी में अंतरराष्ट्रीय मांग पांच माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
सर्वे के अनुसार नया व्यापार बढ़ने और क्षमता पर दबाव बढ़ने के कारण सेवा प्रदाताओं को इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही की शुरुआत में अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ी। सर्वे के अनुसार कि ‘भर्ती के इस दौर में पूर्णकालिक और अस्थायी रिक्तियों को भरा गया था। नौकरियों के सृजन की दर में दिसंबर के बाद से तेजी से इजाफा हुआ और यह दिसंबर 2005 के बाद से (जबसे आंकड़ें एकत्रित किए जा रहे हैं) सबसे तेजी से बढ़ी थी। सेवा कंपनियों ने खर्च भी अधिक किया। खर्चे में वृद्धि स्टॉफ की लागत और खाद्य कीमतों के कारण हुई। महंगाई की दर में वर्ष के अंत की तुलना में थोड़ा बदलाव आया।