अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी ने तालिबान आतंकियों हिंसा करने का मौका दे दिया। तालिबानी आतंकी अफगान सुरक्षा बलों पर भारी पड़ गए हैं।
बगदाद: अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सेना (us Army)की वापसी ने तालिबान आतंकियों हिंसा करने का मौका दे दिया। तालिबानी आतंकी अफगान सुरक्षा बलों पर भारी पड़ गए हैं। अफगानिस्तान में तलिबानियों (Taliban) द्वारा की जा रही क्रूरता को को नजर में रखते हुए उसके पड़ोसी देश अफगान सीमाओं (afghan borders) पर चौकन्ने हो गए। इराक भी इस्लामिक स्टेट (Islamic State) से जंग लड़ रहा है।
इराक (Iraq) का कहना है कि उसे अब आतंक से लड़ने के लिए अमेरिकी सेना की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में अमेरिका का अगला कदम क्या होगा। क्या वह इराक से भी अपनी सेना वापस बुलाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कादिमी ने कहा कि उनके देश को आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए अब अमेरिकी सेना की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उनकी पुन: तैनाती के लिए फॉर्मल टाइम लिमिट इस हफ्ते अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत के नतीजे पर निर्भर करेगी।
अल-कादिमी ने कहा कि इराक को फिर भी अमेरिका की ट्रेनिंग और मिलिट्री इंटैलिजेंस सर्विसेज की आवश्यकता पड़ेगी। उन्होंने वाशिंगटन की यात्रा के मद्देनजर एक इंटरव्यू में यह बयान दिया। अल-कादिमी ने कहा, इराक की सरजमीं पर किसी भी विदेशी सेना की आवश्यकता नहीं है।
कादिमी ने अमेरिकी सेना की वापसी के लिए कोई समय सीमा नहीं बतायी। उन्होंने कहा कि इराकी सुरक्षाबल और सेना अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के बिना देश की रक्षा करने में सक्षम हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि सेना की वापसी इराकी बलों की आवश्यकता पर निर्भर करेगी।