भारत की नई संसद (New Parliament of India) बनकर तैयार है। देश के पीएम मोदी (PM Modi) सावरकर के जन्मदिन 28 मई (Savarkar's birthday 28 May) को इसका उद्घाटन करेंगे। हालांकि, नई संसद का उद्घाटन समारोह सिर्फ भाजपा (BJP) का आयोजन बनकर रह जाएगा। देश की 19 राजनीतिक दलों (19 Opposition Parties)ने बुधवार को संयुक्त बयान (Joint Statement) जारी कर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
नई दिल्ली। भारत की नई संसद (New Parliament of India) बनकर तैयार है। देश के पीएम मोदी (PM Modi) हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के जन्मदिन 28 मई (Savarkar’s birthday 28 May) को इसका उद्घाटन करेंगे। हालांकि, नई संसद का उद्घाटन समारोह सिर्फ भाजपा (BJP) का आयोजन बनकर रह जाएगा। देश की 19 राजनीतिक दलों (19 Opposition Parties)ने बुधवार को संयुक्त बयान (Joint Statement) जारी कर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
संयुक्त विपक्ष के तरफ से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि, ‘जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से सोख ली गई है, तो हमें नई इमारत की कोई कीमत नहीं दिखती।’ राजनीतिक पार्टियों ने संविधान के अनुच्छेद-79 (Article-79 of the Constitution) का जिक्र करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी होता है।
विपक्षी दलों की ओर से जारी लेटर में कहा गया है कि राष्ट्रपति की ओर से ही संसद बुलाई जाती है। राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने बिना उनको बुलाए संसद के नए भवन के उद्घाटन का फैसला लिया है। यह अशोभनीय और उच्च पद का अपमान है।’ इससे पहले राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं।
उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK),राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना गुट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, झारखंड मुक्ति मोर्चा, करेला कांग्रेस मनी, विदुथलाई चिरुथाइगल कच्छी, राष्ट्रीय लोक दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और रेवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी अन्य मरुमलारची द्रविड मुनेत्रद कड़गम (MDMK) शामिल हैं।
21 मई को राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। कांग्रेस ने कहा कि 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है।
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने संसद की नई बिल्डिंग का राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन नहीं करने पर उनका अपमान बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है। पीएम मोदी के लिए बिल्डिंग का उद्घाटन सिर्फ उनके लिए है, हमारे लिए नहीं। संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है बल्कि यह पुरानी परंपराओं, मिसालों, मूल्यों, नियमों और भारतीय लोकतंत्र की नींव है।
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि AAP भी उद्घाटन कार्यक्रम का बॉयकाट करेगी, क्योंकि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया।
सीपीआई नेता डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। CPI (M) ने भी इस समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति देश की पहली नागरिक हैं और उन्हें उद्घाटन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति बनाती है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि हमारी संसद ऐतिहासिक है। यह अभी सौ साल चल सकती है। इसे बनाने में RSS और भाजपा का कोई हाथ नहीं है। अब नई इमारत बनाकर उसमें शिला लगाई जाएगी कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। इसी के लिए इतना खर्चा हो रहा है। चलो ये भी ठीक है। लेकिन राष्ट्रपति जो इस देश की प्रमुख हैं। आदिवासी महिला हैं। पार्लियामेंट की कस्टोडियन हैं। आप उनको नहीं बुला रहे । उनके हाथों से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना तो प्रोटोकॉल है, लेकिन आप नहीं कर रहे हैं। क्योंकि आप प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन करवाकर एक पॉलिटिकल इवेंट कर रहे हैं। इसलिए सभी विपक्षी पार्टियों ने तय किया है कि हम इसका बहिष्कार करेंगे।’