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प्रदूषण मुक्त होगा दिल्ली से जयपुर का सफर, इलेक्ट्रिक हाईवे का ट्रायल शुरू

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के दिशानिर्देश में दिल्ली और जयपुर के बीच 270 किलोमीटर के राजमार्ग पर इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल रन शुरू किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य इलेक्ट्रिक बसों के लिए हाईवे पर बनाए गए बुनियादी ढांचे की आर्थिक व्यवहार्यता की जांच करना और तकनीकी बाधाओं को दूर करना है।

By आराधना शर्मा 
Updated Date

जयपुर:  भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Minister Ashwini Kumar Choubey) के दिशानिर्देश में दिल्ली और जयपुर के बीच 270 किलोमीटर के राजमार्ग पर इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल रन शुरू किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य इलेक्ट्रिक बसों के लिए हाईवे पर बनाए गए बुनियादी ढांचे की आर्थिक व्यवहार्यता की जांच करना और तकनीकी बाधाओं को दूर करना है।

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आपको बता दें, एनएचईवी ने पिछले साल यमुना एक्सप्रेसवे पर दिल्ली और आगरा के बीच बसों का ट्रायल रन कर ईवी बुनियादी का परीक्षण किया था। बताया जा रहा है कि इस परियोजना की सफलता से भारत में इलेक्ट्रिक हाईवे और कॉरिडोर की बुनियाद राखी जाएगी।

तकरीबन एक महीने तक इलेक्ट्रिक रूट पर चलने वाले ट्रायल रन के लिए NueGo के इलेक्ट्रिक बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है। NueGo इलेक्ट्रिक कोच बनाने वाली कंपनी की मूल कंपनी ग्रीन सेल मोबिलिटी ने एनएचईवी से इस परियोजना के लिए साझेदारी की है। इसमें राजमार्गों पर ईवी संचालन से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

तकनीकी परीक्षण के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों की तकनीकी, आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक व्यवहार्यता का अध्ययन किया जाएगा। भविष्य के राजमार्गों के निर्माण के दौरान एनएचएआई में एएचईएम को शामिल करने के लिए भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष तकनीकी परीक्षण चलाने के निष्कर्षों और सिफारिशों वाली एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की जाएगी। इन टेक-ट्रायल रन के निष्कर्षों और अनुभवों का उपयोग 5000 किमी के पारंपरिक राजमार्गों को ई-हाईवे में बदलने के लिए किया जाएगा।

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केंद्र सरकार की एजेंसी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) ने 2030 तक देश भर में 50,000 इलेक्ट्रिक बसों को उतारने का लक्ष्य रखा है। इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की इस परियोजना की कुल लागत 80,000 करोड़ रुपये तय की गई है। सार्वजनिक परिवहन को उत्सर्जन मुक्त बनाने एक लिए यह केंद्र सरकार के द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम मन जा रहा है।

आपको बता दें कि भारत में 2070 में शून्य उत्सर्जन को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए नई-नई नीतियां लागू की जा रही हैं। सीईएसएल बसों की खरीद के लिए जल्द ही एक टेंडर जारी करेगी।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, सूरत और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में ट्रांसपोर्ट निगमों द्वारा चलाए जाने वाले सभी सार्वजनिक बसों को पूरी तरह इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना है। इन शहरों में 5,450 ई-बसों की तैनाती की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

 

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