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Kanpur Dehat Burnt Case : शिवम ने बयां किया हादसे मंजर, ‘JCB ड्राइवर ने गिराई झोपड़ी, लेखपाल ने लगाई आग.. SDM ने कहा- कोई बचने न पाए’

Kanpur Dehat Burnt Case : कानपुर देहात जिला प्रशासन के संवेदनहीन और लापरवाही भरे रवैये ने दो जिंदगियों को खत्म कर दिया है। एक झोपड़ी को गिराने के लिए प्रशासन बुलडोजर लेकर पहुंचा, लेकिन उसमें मौजूद मां-बेटी की परवाह तक नहीं की। उसी वक्त झोपड़ी में आग लग गई और दूसरी तरफ से आंखों पर पट्टी बांधे अधिकारियों ने बुलडोजर चलाने का आदेश दे दिया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Kanpur Dehat Burnt Case : कानपुर देहात जिला प्रशासन के संवेदनहीन और लापरवाही भरे रवैये ने दो जिंदगियों को खत्म कर दिया है। एक झोपड़ी को गिराने के लिए प्रशासन बुलडोजर लेकर पहुंचा, लेकिन उसमें मौजूद मां-बेटी की परवाह तक नहीं की। उसी वक्त झोपड़ी में आग लग गई और दूसरी तरफ से आंखों पर पट्टी बांधे अधिकारियों ने बुलडोजर चलाने का आदेश दे दिया।

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शिवम की जुबानी, हादसे की कहानी

शिवम दीक्षित ने पूरे घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि बीते ‘सोमवार को एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह, एसएचओ दिनेश कुमार गौतम अपने 12-15 पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान मेरी मां और बहन अपनी झोपड़ी में आराम कर रहे थे और वहां पर 22 बकरियां भी थी।

शिवम ने आगे कहा कि दीपक जेसीबी ड्राइवर ने सुनियोजित तरीके से फुस्स की झोपड़ी को बिना मां-पिता और बहन को सूचित किए हुए गिरवा दी और लेखपाल अशोक सिंह ने आग लगा दी। इस दौरान एसडीएम मैथा ने कहा कि आग लगा दो, झोपड़ी में कोई बचने न पाए… किसी तरह मैं झोपड़ी के बाहर निकला तो एसएचओ दिनेश गौतम और पुलिसकर्मियों ने मुझे पीटा और आग में फेंकने की कोशिश की।

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