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Live-in Relationship in Islam : इस्लाम में शादी से पहले लिव-इन रिलेशनशिप और शारीरिक संबंध गलत, कुरान में कड़ी सजा का है जिक्र

Live in relationships not allowed in Islam: पश्चिमी देशों (Western Countries) की तर्ज पर शादी (Marriage) से पहले  लिव इन कल्चर (Live-in Culture) बीते एक दशक में भारत में तेजी से बढ़ा है। लिव इन यानी शादी के बिना किसी लड़के और लड़की का एक ही छत के नीचे साथ रहना। इसके समर्थकों का कहना है कि जरूरतें इंसानों से कुछ भी करवा लेती हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Live in relationships not allowed in Islam: पश्चिमी देशों (Western Countries) की तर्ज पर शादी (Marriage) से पहले  लिव इन कल्चर (Live-in Culture) बीते एक दशक में भारत में तेजी से बढ़ा है। लिव इन यानी शादी के बिना किसी लड़के और लड़की का एक ही छत के नीचे साथ रहना। इसके समर्थकों का कहना है कि जरूरतें इंसानों से कुछ भी करवा लेती हैं। यूं तो कानून के हिसाब से लिव-इन रिलेशनशिप (Live- in relationship) में रहने में कोई बुराई नहीं है। हालांकि इस्लामिक नजरिए से देखा जाए तो बिना शादी के एक औरत या मर्द का साथ रहना और फिजिकल रिलेशन बनाना गलत है।

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लिव इन से औरत को नुकसान

जब एक मर्द और औरत साथ रहते हैं तो उनके बीच शारीरिक रिश्ते भी बन जाते हैं। ऐसे में अगर कोई मर्द अपनी पार्टनर के साथ सेक्स करके अलग हो जाता है, तो उस महिला की मुश्किलें बढ़ जाती हैं, क्योंकि अगर वो प्रेग्नेंट हो गई तो उसे बच्चे को पैदा करने से लेकर उसकी परवरिश में अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बिताना पड़ सकता है। इसलिए अगर महिला किसी के साथ निकाह में रहती है तो उसका पति, उसका और बच्चे दोनों का ख्याल रखता है। दोनों मिलकर बच्चों की परवरिश करते हैं। अगर शादी का बंधन न हो तो लिव इन में मर्द जब चाहे जिम्मेदारी से आजाद हो जाएगा, लेकिन ऐसी सूरत में औरत का मानसिक, शारीरिक और आर्थिक तीन तरह से नुकसान हो सकता है।

इस तरह से पैदा हुए बच्चे की परवरिश ठीक से नहीं हो पाती

बहुत से इंसान मतलबी होते हैं। वो कई मायनों में किसी से अपने फायदे की नीयत से मिलते हैं। वो अपना फायदा उठा कर रास्ता अलग कर लेते है। ऐसे में अगर किसी के साथ बिना शादी के बंधन में बंधकर जिस्मानी रिश्ता बनाया जाता है तो इस तरह से पैदा हुए बच्चे की परवरिश ठीक से नहीं हो पाती है। उसे परिवार और मां-बाप दोनों का प्यार नहीं मिल पाता है।

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इस्लाम की नजर में लिव इन गुनाह

शादी से पहले मर्द या औरत एक दूसरे से किसी भी तरह से शारीरिक संबंध बनाता है तो वह जिना यानी रेप कहलाता है। यानी इस्लाम में लिव इन की साफ मनाही है। वहीं शादी और जिना (नाजायज जिस्मानी रिश्ते) का जिक्र कुरान और हदीस में भी आया है। अल्लाह के रसूल ने एक जगह फरमाया है कि ‘नौजवानों! तुममें से जो शख्स निकाह की जिम्मेदारियों को अदा कर सकता हो उसे शादी कर लेनी चाहिए, इससे निगाह काबू में आ जाती है और आदमी पाक दामन हो जाता है।

‘इस्लाम में छूना, घूरना, किसिंग तक हराम’

इस्लाम (Islam) के अनुसार, ‘बिना शादी के शारीरिक संबंध (Physical Relationship) को मान्यता नहीं दी जा सकती। इसके अलावा, आकर्षण सेक्स (Attraction Sex), छूना (Touch), घूरना और किसिंग (kissing) तक इस्लाम में शादी से पहले हराम है।’

कुरान में है कड़ी सजा का जिक्र

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हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए ने ‘ZINA’ (ज़िना) को भी परिभाषित किया। अदालत ने कहा, ‘किसी भी प्रकार का सेक्स या शारीरिक संबंध पति-पत्नी के अलावा एक्स्ट्रा मैरिटल सेक्स (Extra Marital Sex) और पैरामेट्रियल सेक्स कानूनी मान्यता नहीं देता। न्यायालय ने यह भी कहा कि ,अगर ऐसा कोई करता है तो कुरान (Quran) में उसकी सजा 100 कोड़े अविवाहित युवक को और महिला को मृत्यु तक पत्थर मारने की सजा दी जाती है।

 

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