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जब हम लोगों को मौका मिलेगा तो जातीय जनगणना कराने का करेंगे काम : अखिलेश यादव

अखिलेश यादवने कहा, जो हालात देश में है ऐसे हालात पहले कभी किसी ने नहीं देखे। जहां पर कानून की समय-समय पर धज्जियां उड़ रही है। और हमारा प्रदेश कस्टोडियल डेथ में, महिलाओं के उत्पीड़न में सबसे आगे जा रहा है।

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। संविधान पर चर्चा करते हुए लोकसभा में अखिलेश यादव ने यूपी की कानून व्यवस्था, मस्जिद, मंदिर और जाति जनगणना के मुद्दों पर अपनी बात रखी। अखिलेश यादव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और दैहिक स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। यह मौलिक अधिकार है, लेकिन उत्तर प्रदेश में तो यही छीना जा रहा है। फर्जी मुठभेड़ों में कत्ल हो रहा है और पुलिस की अभिरक्षा में लोग मारे जा रहे हैं। यूपी में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए। यूपी में हर दिन ऐसा हो रहा है। टीवी पर चलते हुए जान ले ली गई। हमारा प्रदेश हिरासत में मौतों के मामले में सबसे आगे जा रहा है।

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अखिलेश यादव ने कहा, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने संविधान देने का काम किया। संविधान हमारी सुरक्षा है, संविधान हमें समय-समय पर शक्ति देता है। साथ ही कहा, संविधान जितना भी अच्छा हो यदि उसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे तो परिणाम अच्छे नहीं मिलेंगे।  कहा, जो हालात देश में है ऐसे हालात पहले कभी किसी ने नहीं देखे। जहां पर कानून की समय-समय पर धज्जियां उड़ रही है। और हमारा प्रदेश कस्टोडियल डेथ में, महिलाओं के उत्पीड़न में सबसे आगे जा रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में 2014 के बाद से असमानता तेजी से बढ़ी है। 140 करोड़ लोगों में से 82 करोड़ तो सरकारी राशन से जिंदा हैं। सरकार कहती है कि हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है तो मेरा सवाल है कि कैसे 82 करोड़ सरकारी राशन पर जिंदा हैं और कैसे कुछ लोगों के पास इतनी बड़ी दौलत है। यदि आपकी अर्थव्यवस्था ऊंचाई पर जा रही है तो हमारे जो 60 फीसदी गरीब लोग हैं, उनकी प्रति व्यक्ति क्या है। इसके आंकड़े भी तो सरकार को देने चाहिए। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि 5 फीसदी लोगों के पास कितनी कमाई है। राज्य की निगाह में सभी धर्म समान हैं।

अखिलेश यादव ने आगे कहा, हिटलर ने भी तो लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने के बाद संविधान बदला था और तानाशाही लागू कर दी थी। संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक न्याय दिलाने की बात है। लेकिन ऐसा क्या है। आर्थिक न्याय के बिना कुछ भी संभव नहीं है। धन्नासेठों की सरकार बड़े पैमाने पर पैसे खर्च करके सत्ता में आ जाती है। इससे राजनीतिक न्याय भी छिन जा रहा है। आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ देशद्रोह है। आज उपासना में भी दिक्कत है क्योंकि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजा जा रहा है। आज एक ही कानून कुछ लोगों के लिए अलग है। यदि सत्ता पक्ष का आदमी गेरूआ गमछा पहनकर गाली दे तो जी हुजूरी। दूसरा व्यक्ति न्याय मांगने जाए तो लाठी मिलती है।

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