पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर लगभग सही की सहमति दिखी थी। हालांकि, इस पर अभी अधिकारिक तौर पर मुहर नहीं लगी है। कहा जा रहा है कि शिमला में होने वाली मीटिंग में इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है। 10-15 जुलाई के बीच शिमला में विपक्षी एकता की 2 दिवसीय बैठक प्रस्तावित है।
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। पटना में हुई विपक्ष की महाबैठक के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जा सकता है। यही नहीं प्रधानमंत्री चेहरे की रेस में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सबसे आगे बताए जा रहे हैं। इतिहास में एक बार ऐसा हो भी चुका है. राष्ट्रीय मोर्चा नाम से बने गठबंधन में विश्वनाथ प्रताप सिंह संयोजक थे और इसी मोर्चे ने उनको प्रधानमंत्री भी बना दिया था।
दरअसल, पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को संयोजक बनाने पर लगभग सही की सहमति दिखी थी। हालांकि, इस पर अभी अधिकारिक तौर पर मुहर नहीं लगी है। कहा जा रहा है कि शिमला में होने वाली मीटिंग में इसकी औपचारिक घोषणा की जा सकती है। 10-15 जुलाई के बीच शिमला में विपक्षी एकता की 2 दिवसीय बैठक प्रस्तावित है।
गठबंधन की राजनीति में संयोजक का पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। 1996 में कम सीट होने के बावजूद हरिकिशन सुरजीत ने संयुक्त मोर्चा की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा के कन्विनर रहे वीपी सिंह चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बन गए।
गठबंधन राजनीति के खेल में बीजेपी भी उतरी और समाजवादी जॉर्ज को एनडीए का संयोजक बनाया गया। अटल सरकार में मंत्रियों के पोर्टफोलियो तय करने में जॉर्ज की राय अहम मानी जाती थी। हालांकि, गठबंधन पॉलिटिक्स में कई ऐसे संयोजक भी रहे, जो सिर्फ मीडिया की सुर्खियां बनकर रह गए।