छह महीने के लिए भेजा गया भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन मंगलयान आठ साल बाद अब अंतरिक्ष में विलीन हो रहा है। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सूत्रों ने दी है। उनके मुताबिक, मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) का ईंधन खत्म हो गया है। जिसकी वजह से उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि यह मंगलयान अब समाप्ति की ओर है। बता दें कि मंगलयान मिशन में 450 करोड़ रुपये की लागत आई थी।
नई दिल्ली। छह महीने के लिए भेजा गया भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन मंगलयान आठ साल बाद अब अंतरिक्ष में विलीन हो रहा है। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सूत्रों ने दी है। उनके मुताबिक, मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) का ईंधन खत्म हो गया है। जिसकी वजह से उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि यह मंगलयान अब समाप्ति की ओर है। बता दें कि मंगलयान मिशन में 450 करोड़ रुपये की लागत आई थी।
अपनी उम्र से 16 गुना ज्यादा चला मंगलयान
दुनिया के किसी भी देश को यकीन नहीं हो रहा था कि भारत ने 450 करोड़ रुपये की लागत वाले मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। केवल छह महीने के लिए तैयार हुआ यह मिशन आठ साल से अधिक चला। मंगलयान को मंगल पर पहली ही कोशिश में भेजना भारत के लिए गर्व की बात थी। मंगलयान ने इतना बेहतरीन काम किया है, जो किसी भी देश के स्पेसक्राफ्ट ने आज तक नहीं किया था।
ईधन-बैटरी खत्म होने की वजह से टूटा संपर्क
बता दें कि भारत ने यह मंगलयान 2013 में लॉन्च किया गया था, जो मंगल की कक्षा में कल्पना से अधिक समय तक रहा है। ISRO के सूत्रों ने समाचार एजेंसी PTI को बताया है कि अब मंगलयान में ईंधन नहीं बचा है। सैटेलाइट की बैटरी भी खत्म हो चुकी है, जिसकी वजह से इससे संपर्क टूट चुका है। हालांकि, ISRO की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
लंबे ग्रहण की वजह से खत्म हुई बैटरी
ऐसा माना जा रहा है कि कई बार ग्रहण लगने की वजह से मंगलयान की बैटरी खत्म हो गई। इनमें से एक ग्रहण करीब साढ़े सात घंटे तक चला था। एक अधिकारी के मुताबिक, सैटेलाइट बैटरी को एक घंटे 40 मिनट तक के ग्रहण को संभालने के लिए डिजाइन किया गया था। इसलिए एक लंबा ग्रहण बैटरी को खत्म कर देगा। ग्रहण से बचने के लिए ISRO मंगलयान को एक अलग कक्ष में ले जाने के प्रयास में है।
मंगलयान दुनिया के लिए है उदाहरण
यह मंगलयान अपनी कार्यक्षमता, कम लागत और लंबी उम्र के लिए दुनिया के लिए उदाहरण है। सूत्रों के मुताबिक इसने अपना काम बखूबी किया और कई महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए। मंगलयान में मार्स कलर कैमरा (MCC) सहित पांच उपकरण थे। MCC ने 1,000 से अधिक तस्वीरें ली और एक मार्स एटलस प्रकाशित किया। मंगलयान सतह भूविज्ञान, आकृति विज्ञान, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, सतह के तापमान और वायुमंडलीय प्रक्रिया पर डेटा एकत्र करने वाले पांच पेलोड के साथ गया था।
जानें आगे क्या है योजना?
मंगल पर और यान भजने की अभी कोई योजना नहीं साल 2016 में ISRO दूसरे मंगल मिशन एनाउंसमेंट ऑफ ऑपर्च्यूनिटी (AO) लेकर आए थे, लेकिन इस पर अभी तक कोई बात नहीं हुई। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, MOM-2 अभी तक स्वीकृत सूची में नहीं है। इसके पहले गगनयान, चंद्रयान, चंद्रयान-3 और आदित्य-L शामिल है। MOM-2 पर पहले की तरह सक्रीयता नहीं दिखाई जा रही है। माना जा रहा है कि इसके लिए भविष्य में कोई योजना तैयार की जाए।