यूपी में मुस्लिम समुदाय के बच्चे अब मुंशी-मौलवी नहीं बनना चाहते। मदरसों में पढ़ने के प्रति नई पीढ़ी की दिलचस्पी लगातार कम होती जा रही है। इसका सुबूत हैं मदरसा शिक्षा परिषद के आंकड़े।
यूपी में मुस्लिम समुदाय के बच्चे अब मुंशी-मौलवी नहीं बनना चाहते। मदरसों में पढ़ने के प्रति नई पीढ़ी की दिलचस्पी लगातार कम होती जा रही है। इसका सुबूत हैं मदरसा शिक्षा परिषद के आंकड़े।
बता दें कि आंकड़ों के मुताबिक लगातार तीन वर्षों से यह संख्या घटती जा रही है। सेकेण्ड्री और सीनियर सेकेण्ड्री पाठ्यक्रम में 3.30 लाख बच्चे कम हो गए हैं।
वहीं साल 2016 में पंजीकृत छात्रों की 4 लाख 22 हजार 627 थी, जो इस साल यानि 2022 में घटकर महज 92000 रह गई है। इसकी वजह मदरसों की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र-छात्राओं को मिलने वाले प्रमाण पत्र की कोई महत्व न होना है। आज तक उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद किसी भाषा विश्वविद्यालय से अपनी सम्बद्धता या अपने पाठ्यक्रमों की मान्यता हासिल नहीं कर सकी है।
परिषद के चेयरमैन डा.इफ्तेखार जावेद खुद कुबूल करते हैं कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को उनके प्रमाण पत्रों के आधार पर रोजगार नहीं मिलता।