शौर्य-पराक्रम -अदम्य साहस और निष्ठा के साथ देश की सेवा करने वाला भारतीय फाइटर विमान जेट MIG-21 26 सितंबर यानी शुक्रवार को वायु सेना के बेड़े से विदा हो गया।
सूरज की चमक और साफ नीले आसमान के बीच पूरे-शानो-शौकत के साथ इसकी विदाई की गई। MIG-21 साल 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुआ। यह कई युद्धों एवं अभियानों में शामिल होकर भारतीय सामारिक लक्ष्यों एवं अभियानों को पूरा किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन (Chandigarh Air Force Station) पर आयोजित विदाई समारोह में कहा, ‘मिग-21 केवल एक विमान या मशीन ही नहीं है, बल्कि यह भारत-रूस के मजबूत संबंधों का प्रमाण भी है। सैन्य विमान का इतिहास अद्भुत है। राजनाथ सिंह ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट हवाई हमलों में इस विमान की निर्णायक भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब मिग-21 ने अपनी निर्णायक क्षमता साबित की है।
तेजस को सौंपी अपनी विरासत
समारोह में वायु सेना ने मिग-21 को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी। परेड, सलामी देकर उसके योगदान को याद किया। मिग-21 ने भी अपनी विरासत तेजस को सौंपते हुए उसके साथ अपनी अंतिम उड़ान भरी।