मिशन चंद्रयान-3 (Mission Chandrayaan-3) ने शुक्रवार को चांद के सतह पर उतरने से पहले एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि आज शाम 4 बजे लैंडर मॉड्यूल की स्पीड को और धीमा किया गया है। यानी उसे डिबूस्ट किया गया है।
नई दिल्ली: मिशन चंद्रयान-3 (Mission Chandrayaan-3) ने शुक्रवार को चांद के सतह पर उतरने से पहले एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि आज शाम 4 बजे लैंडर मॉड्यूल की स्पीड को और धीमा किया गया है। यानी उसे डिबूस्ट किया गया है। बता दें कि कि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) से अलग होने के बाद लैंडर (Vikram Lander) खुद ही आगे की दूरी तय कर रहा है। शुक्रवार को लैंडर मॉड्यूल डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में उतर गया।
इसरो ने ट्वीट कर बताया कि लैंडर मॉड्यूल (LM) अच्छी स्थिति में है। इसने सफलतापूर्वक डीबूस्टिंग ऑपरेशन (Deboosting Operation) किया जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई। दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन (Deboosting Operation) 20 अगस्त 2023 के लिए निर्धारित है।
Chandrayaan-3 Mission:
The Lander Module (LM) health is normal.LM successfully underwent a deboosting operation that reduced its orbit to 113 km x 157 km.
The second deboosting operation is scheduled for August 20, 2023, around 0200 Hrs. IST #Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/0PVxV8Gw5z
पढ़ें :- Chandrayaan-3 मिशन में ISRO के हाथ लगी बड़ी सफलता; प्रज्ञान रोवर ने की ये खोज
— ISRO (@isro) August 18, 2023
पहली डीबूस्टिंग प्रक्रिया पूरी
इसरो ने बताया था कि आज शाम 4 बजे लैंडर को डिबूस्ट किया जाएगा। ये डीबूस्टिंग की प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है। इसरो ने बताया कि लैंडर मॉड्यूल का डीबूस्टिंग सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इसके साथ ही लैंडर चांद की कक्षा में 113 किलोमीटर X 157 किलोमीटर तक पहुंच गया है। डीबूस्टिंग का मतलब होता है कि लैंडर विक्रम की स्पीड को कम किया जाएगा। डिबूस्ट करने का मकसद विक्रम को पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर लाना है। इसके बाद सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।
इसरो ने बताया अगली डीबूस्टिंग कब
इसरो ने बताया कि दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन (Deboosting Operation) अब 20 अगस्त 2023 को किया जाएगा। दो लगभग दोपहर 2 बजे होगा। गौरतलब है कि प्रॉपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर विक्रम अब आगे की दूरी अकेले ही तय कर रहा है। 23 अगस्त को शाम पौने 6 बजे के करीब लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
लैंडर की कक्षा में बदलाव के बाद क्या होगा?
कक्षा में बदलाव के बाद लैंडर अगले 5 दिन तक इसी कक्षा में रहेगा। इसरो की मौजूदा कैलकुलेशन के हिसाब से 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग की जाएगी।
कैसे होगी सॉफ्ट लैंडिंग?
लैंडर विक्रम की चंद्रमा पर लैंडिंग उसमें लगे चार थ्रस्टर के माध्यम से होगी। इनमें एक थ्रस्टर की पावर 400 न्यूटन है। दो-दो थ्रस्टर दो चरणों में काम करेंगे। चंद्रयान-3 से पहले भेजा गया चंद्रयान-2 सात सितंबर 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में असफल रहा था। चंद्रयान-3 का उद्देश्य भी चंद्र सतह पर सुरक्षित ‘साफ्ट लैंडिंग’ करने, चांद पर रोवर के घूमने और वैज्ञानिक प्रयोग करने का है। चंद्रयान-1 मिशन 2008 में भेजा गया था। अगर चंद्रयान-3 ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहता है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
लैंडिंग में क्या है चुनौती?
चंद्रयान-1 के परियोजना निदेशक एम अन्नादुरई के अनुसार मैच वास्तव में अब शुरू हुआ है। ये अंतिम ओवर हैं जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं। पूरी दुनिया यह देखने के लिए इंतजार कर रही है कि विक्रम क्या करेगा और प्रज्ञान बाहर आकर क्या करेगा? इसलिए अब पूरा फोकस लैंडिंग पर है। इसरो ने पिछली गलतियों से सबक लेते हुए इस बार पूरी तैयारी की है। इसके लिए लैंडिंग का एरिया भी अधिक लिया गया है।
लैंडर से अलग हुआ प्रोपल्शन मॉड्यूल क्या करेगा?
लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से अलग हुआ प्रोपल्शन मॉड्यूल कई महीनों तक अपनी यात्रा को जारी रखेगा। ये चांद की परिक्रमा करता रहेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल पर शेप पेलोड भी लगा हुआ है। यह चांद की कक्षा से ही जीवन के लिए जरूरी परिस्थितियों का पता लगाएगा। यह धरती के वायुमंडल की स्पेक्ट्रोस्कोपिक जांच करेगा। साथ ही अन्य ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाएं खोजेगा।