भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत में बेरोजगारी संकट को लेकर लगातार चिंता जता रही है। नोटबंदी, गलत GST और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार देने वाले MSMEs सेक्टर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपने मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए नीतियां बनाईं और बेरोजगारी दर को 45 वर्षों के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है,जिसमें स्नातक युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 42 फीसदी है।
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत में बेरोजगारी संकट को लेकर लगातार चिंता जता रही है। नोटबंदी, गलत GST और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार देने वाले MSMEs सेक्टर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपने मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए नीतियां बनाईं और बेरोजगारी दर को 45 वर्षों के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है,जिसमें स्नातक युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 42 फीसदी है। वैश्विक बैंक सिटीग्रुप ने बेरोजगारी पर एक रिपोर्ट जारी की है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत में बेरोजगारी संकट को लेकर लगातार चिंता जता रही है।
नोटबंदी, गलत GST और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार देने वाले MSMEs सेक्टर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं।
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— Congress (@INCIndia) July 7, 2024
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इस पर कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जो हाल के चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस द्वारा कही गई बातों की पुष्टि करते हैं, भले ही जिनका नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने उनका उपहास उड़ाया था। ये रिपोर्ट की मुख्य बातें हैं। जयराम रमेश ने कहा कि भारत को अपने युवाओं को रोज़गार देने के लिए अगले 10 वर्षों तक हर साल 1.2 करोड़ नौकरियों के अवसर पैदा करने होंगे। यहां तक कि 7 फीसदी GDP ग्रोथ भी हमारे युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर पाएंगी। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की सरकार में, देश ने औसतन केवल 5.8 फीसदी GDP ग्रोथ हासिल की है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मोदी सरकार का पूरी तरह से विफल होना बेरोज़गारी संकट का मूल कारण है।
रिपोर्ट में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 10 लाख पद रिक्त पड़े हैं जो न केवल हमारे शिक्षित युवाओं के साथ भद्दा मज़ाक है, बल्कि हमारी सरकार के काम-काज में भी बाधा है। भारत की केवल 21 फीसदी श्रम शक्ति के पास नियमित वेतन वाली नौकरी है, जो कि कोविड के पहले के समय से 24 फीसदी से कम है। कोविड के बाद की रिकवरी के शेप्ड रही है, जिसमें एकमात्र लाभार्थी अरबपति वर्ग रहा है। इस बीच वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लिए रास्ते बंद हो रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक मजदूरी प्रति वर्ष 1-1.5 फीसदी कम हो रही है। मोदी ग्रामीण भारतीयों को और गरीब बना रहे हैं। सिटीग्रुप की रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि कई अति-प्रचारित मोदी योजनाओं ने जमीनी स्तर पर कोई लाभ नहीं दिया है। इनमें सुधार के लिए सुझाव दिए गए हैं कि स्किल इंडिया पूरी तरह से विफल रहा है। केवल 4.4 फीसदी युवा भारतीयों के पास ही किसी तरह का औपचारिक प्रशिक्षण है। कौशल विकास के लिए एक नए पहल की सख्त ज़रूरत है – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के न्याय पत्र में प्रशिक्षुता के अधिकार का जो वादा था वह वास्तव में समय की मांग है।
मुद्रा और स्वनिधि जैसे जुमले छोटे व्यवसायों को ऋण देने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। इनमें “बड़े पैमाने पर सुधार” की आवश्यकता है। कम वेतन वाली सेवा क्षेत्र की नौकरियों में काम करने वाले भारतीय पीड़ित हैं। एक “लिविंग वेज” कानून की आवश्यकता है। कांग्रेस की राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 400 रुपए/दिन की गारंटी एक अच्छी शुरुआत होगी। भारत को निर्माण क्षेत्र में अधिक नौकरियाँ पैदा करनी चाहिए। सरकार को बड़े पैमाने पर सामाजिक आवास कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। जयराम रमेश ने कहा कि हमने बिना रोज़गार के विकास (जॉबलेस ग्रोथ) की बात करते हैं तब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और उनके लिए ढोल पीटने वाले अर्थशास्त्री इसपर हमला बोलने लगते हैं। लेकिन वास्तविकता शायद और भी अधिक गंभीर है रोजगार विहीन विकास (जॉबलॉस ग्रोथ)!