भारत ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को चांद पर उतारकर न सिर्फ दुनिया के अंतरिक्ष दिग्गजों की बराबरी की बल्कि, दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग (Soft Landing at South Pole) करने वाला पहला देश भी बना। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने सिर्फ लैंडिंग में ही इतिहास नहीं रचा, चांद की खूबसूरत तस्वीरें दुनिया को दिखाईं।
Moon Lander Come Back : भारत ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को चांद पर उतारकर न सिर्फ दुनिया के अंतरिक्ष दिग्गजों की बराबरी की बल्कि, दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग (Soft Landing at South Pole) करने वाला पहला देश भी बना। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने सिर्फ लैंडिंग में ही इतिहास नहीं रचा, चांद की खूबसूरत तस्वीरें दुनिया को दिखाईं। चांद पर कई महत्वपूर्ण चीजों की भी खोज की। भारत से प्रेरणा लेते हुए जापान (Japan) ने भी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing at Moon) की थी लेकिन, उतरते ही इसका धरती से संपर्क टूट गया और उसका चंद्रयान (Chandrayaan) बेजान हो गया था।
हालांकि अब चांद पर चमत्कार हुआ है। बेजान पड़े जापान के चंद्रयान (Chandrayaan) में फिर से जान लौट आई है। उसने काम करना भी शुरू कर दिया है। जापान का चंद्रमिशन न सिर्फ उसके लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जापान (Japan) की अंतरिक्ष एजेंसी ने इस बात का खुलासा किया है कि उसके चंद्रयान (Chandrayaan) में जान कैसे लौट आई?
बिजली आपूर्ति की समस्या के कारण नौ दिन तक बेजान रहने के बाद जापान के मून लैंडर (Moon Lander) ने चांद पर परिचालन फिर से शुरू कर दिया है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी JAXA ने सोमवार को जानकारी दी कि उसने रविवार देर रात मून लैंडर के साथ संपर्क फिर से स्थापित कर लिया है। एजेंसी ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि मून लैंडर (Moon Lander) में जो भी गड़बड़ियां थी, वो ठीक कर ली गई हैं।
लैंड करते ही बेजान हो गया था लैंडर
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी ने कहा कि प्रकाश की स्थिति में बदलाव के बाद लैंडर सूरज की रोशनी आसानी से पकड़ पा रहा है। इससे वह चार्ज हो चुका है और अब उसके सौर सेल फिर से काम कर रहे हैं। एजेंसी ने बताया कि 20 जनवरी को जब यह लैंडर चांद पर उतरा तो यह बिजली उत्पन्न नहीं कर सका क्योंकि इसके सौर सेल सूर्य से दूर थे।
एजेंसी के मुताबिक, मून लैंडर (Moon Lander) स्लिम कई घंटों तक बैटरी पर चला। धरती पर स्पेस सेंटर से काम कर रहे अधिकारियों ने पाया कि लैंडर सूर्य की रोशनी नहीं ले पा रहा है। इसलिए लैंडर को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने चांद की एक तस्वीर शेयर की, जो उसके मून लैंडर स्लिम द्वारा ली गई थी। JAXA ने कहा, लैंडर चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में सुराग खोजने के लिए चट्टानों की संरचना का विश्लेषण करेगा। एजेंसी ने कहा कि इस खोज से आने वाले समय में चांद पर ईंधन, पानी और ऑक्सीजन के संभावित स्रोतों का पता लगाया जाएगा। स्लिम मिशन जापान के लिए बेहद महत्वपूर्ण चंद्र मिशन है। क्योंकि इससे पहले के उसके कई प्रयास असफल रहे हैं।
“Toy poodle” is the name given to a rock observed near SLIM. Please see this press release for details 🔗: https://t.co/uiGwHAL7OK#JAXA #SLIM #GoodAfterMoon
— 小型月着陸実証機SLIM (@SLIM_JAXA) January 29, 2024
भारत के बाद जापान ने भी कर दिखाया
जापान ने अपने स्मार्ट लैंडर (स्लिम) अंतरिक्ष यान को चांद पर उतारकर दुनिया के दिग्गज देशों की बराबरी कर ली है। जापान भी अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट टचडाउन हासिल करने वाला पांचवां देश बन गया है।
जानें चांद पर कब तक रहेगा?
JAXA ने तुरंत यह नहीं बताया कि स्लिम चंद्रमा पर कब तक काम करेगा। इसने पहले कहा था कि लैंडर को चंद्र रात में जीवित रहने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि चांद पर रात के वक्त तापमान -200 डिग्री तक चला जाता है। एक चंद्र रात्रि धरती के 14 दिनों के बराबर चलती है।