सुन्नी बरेलवी व सूफी मुसलमानों के प्रतिनिधि संगठन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया (MPLBI) ने सुन्नी मुसलमानों के मरकज दरगाह आला हजरत बरेली के संगठन आल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम द्वारा समाजवादी पार्टी में मुसलमानों का भविष्य नही की पुष्टि करते हुए कहा कि अखिलेश यादव पर मुस्लिम समुदाय ने भरोसा किया और उन्होंने मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को विमर्श के केंद्र से बाहर कर धोखेबाजी के साथ उसकी स्थानीय व राज्य स्तरीय लीडरशिप को गहरे गड्ढे में दफन करने के लिए ।
लखनऊ । सुन्नी बरेलवी व सूफी मुसलमानों के प्रतिनिधि संगठन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया (एमपीएलबीआई) ने सुन्नी मुसलमानों के मरकज दरगाह आला हजरत बरेली के संगठन आल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम द्वारा समाजवादी पार्टी में मुसलमानों का भविष्य नही की पुष्टि करते हुए कहा कि अखिलेश यादव पर मुस्लिम समुदाय ने भरोसा किया और उन्होंने मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को विमर्श के केंद्र से बाहर कर धोखेबाजी के साथ उसकी स्थानीय व राज्य स्तरीय लीडरशिप को गहरे गड्ढे में दफन करने के लिए । उन्होंने अपने गठबंधन के साथ मिलकर मुजफ्फरनगर,सहारनपुर,अंबेडकर नगरअमरोहा,जैसे जनपदों में स्थापित मुस्लिम लीडरशिप को अपमानित करने व हिस्सेदारी देने में परहेज करना प्रमाणित करता है कि उन्हें सिर्फ वोट से मतलब था बाकी किसी बात से नही।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया (Muslim Personal Law Board of India) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ मोइन अहमद खान ने कहा कि अखिलेश यादव पूरी तरह से अहंकारी व मुस्लिम विरोधी है। सपा ने अपने गठबंधन राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को विमर्श से बाहर किया। साथ में पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. मसूद अहमद, इमरान मसूद,अशरफ अली खान,अमीर आलम व कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खां की सिफारिसों को दरकिनार कर। उन्हें अपमानित करने का कोई अवसर नही गंवाया। मुजफ्फरनगर व अम्बेडकरनगर में गठबंधन ने मुस्लिम समुदाय की भारी संख्या के बावजूद एक भी टिकट नही दिया। उनका ध्यान चुनाव जीतने में कम मुस्लिम लीडरशिप को कमजोर करने में अधिक था। मुस्लिम मुद्दों की बात तो दूर अखिलेश व जयंत ने अपने ही दलों के नेताओ व कार्यकर्ताओं को मंच तक शेयर नहीं करने दिया।
उन्होंने कहा जबकि जयंत व अखिलेश की जातियों का बड़ा हिस्सा उनका साथ छोड़कर भाजपा के पक्ष में खड़ा हो गया लेकिन मुस्लिम समुदाय अखिलेश के पक्ष में उनके साथ खड़ा रहा,बोर्ड ने पहले भी इस विषय को उठाया था। उन्होंने कहा कि बोर्ड बरेलवी मरकज के संगठन तंजीम उलमा ए इस्लाम के फैसले का पूरी तरह समर्थन करता है। इस सम्बंध में बोर्ड की ईद के बाद असम में होने वाली राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक विकल्प पर विचार विमर्श किया जाएगा । इसके पूर्व उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान व दिल्ली की राज्य समितियों की होने वाली बैठकों में भी विचार किया जाएगा।
बोर्ड महासचिव डॉ मोइन खान ने कहा कि हमारे (मुसलमानों) मुद्दों व देश व प्रदेश में चल रही नफरत की आंधी व सपा,रालोद जैसी जातिवादी व मुस्लिम विरोधी मानसिकता के विरुद्ध सपा व रालोद के विधायक अपने दल में रहते हुए अलग ग्रुप व नेता बनाकर सदन में समुदाय के मुद्दों व सर्वधर्म समभाव के लिये विरोधी विचारधारा से सदन से सड़क तक संघर्ष कर संविधान,लोकतंत्र व मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक हिस्सेदारी की रक्षा करे व मुद्दों को विमर्श के केंद्र में लाये मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसके लिये हर मोर्चे पर साथ खड़ा होकर अपनी भूमिका का निर्वहन करेगा।
बोर्ड महासचिव ने बसपा प्रमुख मायावती के पूर्व में दिए बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वह अपनी पराजय का ठीकरा हमेशा मुसलमानों पर थोपने की बेजा हरकत से बाज आये उंन्होने मुस्लिम समुदाय पर कभी एहसान नही किया जबकि भाजपा की गोद मे बैठकर तीन बार उन्होंने सरकार बनायी उसके बाद भी मुसलमान उन्हें वोट और नोट देता रहा वह राजनीतिक तौर पर मुस्लिम समुदाय की कर्जदार हमेशा रहेगी। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल को भविष्य में इस बात का एहसास हो जाएगा कि वह हमारी मजबूरी नही है हमे सियासी फैसले लेने का हुनर मालूम है हमारे समुदाय को अछूत समझने वाले शीघ्र ही राजनीति की अछूत बिरादरी मे खडे नजर आएंगे।