बॉलीवुड दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का कहना है कि हिंदी फिल्म उद्योग कभी भी चुनौतियों का सामना करने और समस्याओं से निपटने में आगे नहीं रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई राष्ट्रीय राजधानी में यौन शोषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों पर फिल्म बनाएगा।
मुंबई। बॉलीवुड दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) का कहना है कि हिंदी फिल्म उद्योग कभी भी चुनौतियों का सामना करने और समस्याओं से निपटने में आगे नहीं रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई राष्ट्रीय राजधानी में यौन शोषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों पर फिल्म बनाएगा। उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्म उद्योग ने कब चुनौतियों का सामना किया है और एक ऐसे विषय पर अपनी बात रखी है, जिस पर बोलने की मांग की जा रही है? क्या कोई इन महिला पहलवानों पर फिल्म बनाएगा, जो हमारे लिए पदक लेकर आईं…? क्या कोई फिल्म बनाने की हिम्मत करेगा? क्योंकि वे अंजाम से डरे हुए हैं। हिंदी फिल्म उद्योग का महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साधना कोई नयी बात नहीं है, वह हमेशा से ऐसा ही करता आया है।
अपने बेबाक बयानों के कारण अकसर सुर्खियां बटोरने वाले नसीरुद्दीन शाह एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। नसीरुदीन शाह ने ‘द केरल स्टोरी’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों का नाम लिए बिना एक बयान दिया है। साथ ही मुसलमानों को लेकर देश में बन रहे नए नजरिए पर भी बड़ी बात कही है। नसीरुद्दीन शाह ने जो कहा है, उसने हर तरफ खलबली मचा दी है। एक्टर ने कहा है कि अब मुसलमानों से नफरत करना फैशन बन गया है। लोगों में बड़ी ‘चतुराई’ से नफरत भरी जा रही है।
नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने मोदी सरकार को लपेटे लेते हुए कहा कि सत्ताधारी पक्ष कला के जरिए एक ‘छुपा हुआ एजेंडा’ चला रहा है। लोगों के दिमाग में इस तरह की फिल्मों के जरिए मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरी जा रही है। एक्टर ने कहा कि आज के समय में यह बहुत ही डरावना है। नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि अब पढ़े-लिखे लोगों के दिमाग में भी मुसलमानों के खिलाफ नफरत को चतुराई के साथ फीड किया जा रहा है।
नसीरुद्दीन शाह से पूछा गया कि क्या यह एक चिंताजनक संकेत है कि कुछ फिल्मों और शोज को दुष्प्रचार और प्रोपेगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है? इस बारे में वह बोले, ‘स्क्रीन पर जो कुछ भी दिखाया जाता है, वह सभी हमारे आस-पास समाज में हो रही चीजों और मूड का ही रिफ्लेक्शन है। इस्लामोफोबिया और ये सब…इसका चुनाव में वोट पाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।’
नसीरुद्दीनन शाह ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक समय है। इस तरह की चीजें…आजकल मुसलमानों से नफरत करना फैशन हो गया है। पढ़े-लिखे लोगों में भी मुसलमानों से नफरत करना आजकल फैशन बन गया है। सत्ताधारी दल ने बड़ी चतुराई से लोगों में फीड किया है। एक नैरेटिव सेट किया है। हम धर्मनिरपेक्ष होने और लोकतंत्र की बात करते हैं, तो आप हर चीज में धर्म का परिचय क्यों दे रहे हैं?’
‘राजनीतिक पार्टियां भी धर्म का इस्तेमाल कर रहीं’
नसीरुद्दीन शाह ने आगे चुनाव आयोग पर भी बात की और कहा कि वह भी इस तरह की चीजों के खिलाफ आवाज नहीं उठाता। यहां कि पॉलिटिकल पार्टियां भी चुनावी रैलियो में धर्म का खूब इस्तेमाल करती हैं। वह बोले कि’अगर कोई मुसलमान नेता होता और वह कहता कि अल्लाहू अकबर बोलके बटन दबाओ, तो बवाल मच जाता, लेकिन यहां हमारे पीएम साहब आगे बढ़कर ऐसी चीजें बोलते हैं। फिर भी वह गुस्सा हो जाते हैं। नसीरुद्दीन शाह ने उम्मीद जताई कि इस तरह की चीजें जल्द खत्म हो जाएंगी, लेकिन अभी का वक्त बेहद चिंताजनक है।