अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के कोषाध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के सदस्य गोविंद देवगिरी महाराज (Govind Devgiri Maharaj) ने आग में घी डालने ने काम करते हुए कहा है कि भारत माता (Bharat Mata) 70 साल से खुश नहीं थी, 2014 के बाद उसने थोड़ा-थोड़ा मुस्कुराना शुरू किया है।
मुंबई। बॉलीवुड की पंगा क्वीन पद्मश्री कंगना रणौत (Kangana Ranaut) के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। बता दें कि कंगना रणौत (Kangana Ranaut) देश की आजादी का साल 2014 बताकर कंगना विवादों में घिर गई हैं। सोशल मीडिया पर फैंस उनसे पद्मश्री (Padma Shri) वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #KanganaRanautDeshdrohi टॉप ट्रेंडिंग में बना हुआ है।
इसी बीच इस खेल में नई महारथी ने एंट्री मार दी है। अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के कोषाध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के सदस्य गोविंद देवगिरी महाराज (Govind Devgiri Maharaj) ने आग में घी डालने ने काम करते हुए कहा है कि भारत माता (Bharat Mata) 70 साल से खुश नहीं थी, 2014 के बाद उसने थोड़ा-थोड़ा मुस्कुराना शुरू किया है।
पुणे में शुक्रवार, समग्र वंदे मातरम ग्रंथ प्रकाशन समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए गोविंद देवगिरी महाराज (Govind Devgiri Maharaj) ने कहा कि वंदेमातरम में जो अनेकों विशेषण कहे गए हैं, वो आज लागू नहीं होते हैं। क्या भारत माता सुहासिनी हैं, क्या वो आज मधुर हास्य कर रही हैं? वो हास्य नहीं, क्रंदन कर रही हैं। इसपर हमें विचार करना चाहिए कि उसका हर एक विशेषण यथार्थ रहे। आज भारत माता अनेक प्रकार से क्रंदन कर रही हैं। मुझे तो लगता है वो 70 सालों से क्रंदन कर रही थीं और 2014 में उसने थोड़ा मुस्कुराना शुरू किया है। गोविंद देवगिरी महाराज ने कहा कि हमारी परंपराओं को झुठलाकर, हमारे इतिहास- भूगोल को झुठलाकर, हमारे तीर्थों को झुठलाकर, भगवान राम को काल्पनिक कहकर, राम सेतु किसी के द्वारा बनाया ही नहीं गया ये कहकर और इसका एफिडेविट देकर हमारी सरकारों ने जो पाप किया वो आपके पाप आपके माथे पर भी लगा हुआ है।
गोविंद देवगिरी महाराज बड़े ही क्रोधित भाव में कहा कि जिस इतिहास में मुग़ल को महान बताया जाए, छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए महज पांच पंक्तियां लिखी जाएं और महाराणा प्रताप को तो दूर ही फेंक दिया जाए, तो क्या वो इतिहास हमारा इतिहास है? यही इतिहास हमको आज तक पढ़ाया गया, क्योंकि दिल्ली के तख्त के नीचे जो सारे साम्यवादी बैठे थे उन्होंने शिक्षा का पूरा नियंत्रण अपने हाथ में लेकर रखा था।