आने वाले दिनों में आप बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्टार्टअप के शेयर भी खरीद सकेंगे पूंजी बाजार के नियामकए सेबी एक ऐसी योजना पर काम कर रहा है, जिससे स्टार्टअप्स भी घरेलू शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो सकेंगे
आने वाले दिनों में आप बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्टार्टअप (Startups) के शेयर भी खरीद सकेंगे। दरअसल, पूंजी बाजार के नियाम सेबी (SEBI) एक ऐसी योजना पर काम कर रहा है, जिससे स्टार्टअप्स भी घरेलू शेयर बाजार में सूचीबद्ध (Listing of Startups) हो सकेंगे। इस बारे में सेबी (Securities and Exchange Board of India) अगले सप्ताह दिशा निर्देश जारी कर सकता है।
एपीएसी के लिए तैयार कर रहा है रूप रेखा
पूंजी बाजार नियामक सेबी विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनियों (special purpose acquisition companies) के लिए रूपरेखा तैयार कर रहा है। इस मसौदे के तैयार होने के बाद घरेलू शेयर बाजारों में स्टार्टअप को सूचीबद्ध किया जा सकेगा। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि बाजार नियामक अगले सप्ताह इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। स्पैक या ब्लैंक चेक कंपनियों का गठन प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के जरिए पूंजी जुटाने के लिए किया जाता है, जिसका इस्तेमाल लक्षित कंपनी के विलय के लिए किया जाता है। स्पैक आमतौर पर निजी इक्विटी फंड या वित्तीय संस्थानों द्वारा बनाई जाती है। ऐसी कंपनियां हाल में अमेरिका में लोकप्रिय हुई हैं। भारत में भी स्पैक को अनुमति देने की मांग बढ़ती जा रही है।
सेबी स्पैक पर अलग से बना सकता है नियम
सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित मसौदे के तहत सेबी स्पैक पर अलग से नियम बना सकता है, जिसके तहत ऐसी फर्मों के लिए सूचीबद्ध होने के विस्तृत नियम जारी किए जाएंगे। इसमें आईपीओ के लिए न्यूनतम सीमा आकार शामिल होगा। डेलॉइट इंडिया के पार्टनर विकास बागरिया ने कहा कि एक संस्थापक या प्रायोजक को स्पैक के साथ लक्ष्यित कंपनी के पुन: विलय के बाद 12 महीने से 18 महीने की अवधि तक निवेशित रहना चाहिए। इसके अलावा उन्हें विलय की गई इकाई में डी-स्पैक के बाद 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत के बीच इक्विटी हिस्सेदारी रखनी चाहिए। अधिग्रहण पूरा करने के लिए 24 महीने से 36 महीने तक समय दिया जाना चाहिए।