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गणतंत्र दिवस पर अखिलेश यादव ने देशवासियों को लिखा पत्र, कहा-अपना कारवां बड़ा बनाना होगा…देश को बचाना होगा

अखिलेश यादव ने पत्र में लिखा कि, आइए इस अवसर पर गणतंत्र को और अधिक शक्तिशाली बनाने का संकल्प लें। हमारे गणतंत्र का आधार हमारा संविधान है, जो आज निरंतर उपेक्षित किया जा रहा है, इसीलिए आज फिर से गणतंत्र दिवस पर हम ये संकल्प लें कि जिस संविधान ने इस महान गणतंत्र की स्थापना की है, उसे हर हाल में नकारात्मक शक्तियों से बचाएंगे।

By शिव मौर्या 
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लखनऊ। गणतंत्र दिवस के अवसर पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने देश और प्रदेशवासियों के नाम एक पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि, अपना कारवां बड़ा बनाना होगा… देश को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि, समाज में जो पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी, आधी आबादी या अगड़ों में भी जो पिछड़े हैं या उपेक्षित हैं, और जो गैर बराबरी के खिलाफ सच्चे मन से खड़े होकर भेदभाव मिटाना चाहते हैं, उन सबको एक साथ आना होगा और शोषण करने वाली शक्तियों से एकजुट होकर लड़ना होगा।

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अखिलेश यादव ने पत्र में लिखा कि, आइए इस अवसर पर गणतंत्र को और अधिक शक्तिशाली बनाने का संकल्प लें। हमारे गणतंत्र का आधार हमारा संविधान है, जो आज निरंतर उपेक्षित किया जा रहा है, इसीलिए आज फिर से गणतंत्र दिवस पर हम ये संकल्प लें कि जिस संविधान ने इस महान गणतंत्र की स्थापना की है, उसे हर हाल में नकारात्मक शक्तियों से बचाएंगे।

उन्होंने आगे लिखा कि, ऐतिहासिक महंगाई, रिकॉर्ड तोड़ बेरोज़गारी, चतुर्दिक भ्रष्टाचार और उस पर देश के सौहार्द को मिटाने की साज़िशें आज देश की एकता के तानेबाने को कमज़ोर कर रही हैं। नाउम्मीद ग़रीब, अपने को ठगा महसूस करता हुआ किसान, मेहनत के सही दाम पाने के लिए त्रस्त मज़दूर, हर जगह उपेक्षा व उत्पीड़न की शिकार नारी, काम पाने के लिए दर-दर भटकता हताश युवा, जीएसटी की बदइंतजामी और लगातार घटते कारोबार से परेशान व्यापारी और दुकानदार, कीर्तिमान बनाती कमीशनखोरी व अधिकारियों की वसूली से आत्महत्या करने पर मजबूर ठेकेदार, छंटनी की मार झेल रहे व पेंशन के लिए जूझते नौकरीपेशा लोग…सब निराशा के एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां हमें उम्मीद की नयी राह बनानी है।

इसके साथ ही लिखा कि, इसीलिए हम एक बार फिर दोहराते हैं कि हम उस पॉज़िटिव, प्रोग्रेसिव और प्रैक्टिकल पॉलिटिक्स की ओर बढ़ें जो किसी एक खास वर्ग को नहीं बल्कि आम जनमानस को संग लेकर बढ़ती है, समता-समानता लाने के लिए भेदभाव मिटाती है और सम्पन्नता को हर घर-द्वार तक पहुंचाती है, जिसका हर काम आम जनता को समर्पित होता है। जिसके मूल में आम जनता के ‘कल्याण‘ की भावना होती है, न कि कुछ लोगों के ‘लाभ‘ की।

अपने पत्र में अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि, समाज में जो पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी, आधी आबादी या अगड़ों में भी जो पिछड़े हैं या उपेक्षित हैं, और जो गैर बराबरी के ख़िलाफ़ सच्चे मन से खड़े होकर भेदभाव मिटाना चाहते हैं, उन सबको एक साथ आना होगा और शोषण करनेवाली शक्तियों से एकजुट होकर लड़ना होगा। दरअसल समाज में एक तरफ़ सत्ता पोषित चंद धनिक लोग हैं और दूसरी तरफ़ निरंतर निर्धन होता 90 प्रतिशत आबादी वाला ‘पीडीए‘ समाज है। ‘पीडीए‘ की एकजुटता ही राजनीतिक परिवर्तन लाकर देश की सामाजिक-आर्थिक और मनोवैज्ञानिक तरक़्क़ी का नया भविष्य लिखेगी।

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इसके साथ ही उन्होंने आगे लिखा कि, इसीलिए हमें हर गांव-हर द्वार तक पहुंचना होगा और जनसेवा के अपने परंपरागत सूत्र ‘सम्पर्क, संवाद, सहयोग, सहायता अर्थात ‘मुलाक़ात, मेल-मिलाप, मदद‘! को दोहराना होगा। इसके लिए निरंतर नये-नये लोगों को साथ लाना होगा… अपना कारवां बड़ा बनाना होगा… देश को बचाना होगा।

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