इस्लामाबाद। पाकिस्तानी संसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विकास निधि का आवंटन ‘कम और लड़ाई अधिक’ करती है। पाक के सत्ता में आने वाली सभी सरकारों में विभिन्न हित समूह शामिल होते हैं, जो अपने स्वार्थों को बढ़ावा देते हैं और शासन के आर्थिक पक्ष पर थोड़ा भी ध्यान नहीं देते हैं। नतीजतन, अरबों डॉलर बाहरी और आंतरिक सोर्सेज से बतौर कर्ज उधार लिए गए हैं। जिसके बोझ तले पाकिस्तान दिन पर दिन दबता जा रहा है।
पाकिस्तान की माली हालत सुधारने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान भारी-भरकम कर्ज ले चुके हैं, लेकिन फिर भी सफल नहीं हो पा रहे। पाकिस्तान पर बढ़ते कर्ज की वजह से इमरान खान चीन जैसे देशों के गुलाम तक बनते जा रहे हैं। हालांकि, अपनी नाकामी छिपाने के लिए खान अपनी पुरानी सरकारों पर कर्ज के बोझ का दोष मढ़ते रहे हैं।
इमरान खान सरकार पिछले सिर्फ सात महीनों के भीतर ही 6.7 बिलियन डॉलर विदेशी कर्ज ले चुकी है। इसमें पिछले महीने चीन से लिया गया 500 मिलियन डॉलर का कर्ज भी शामिल है। वहीं, पाकिस्तान की कई कंपनियां दिवालिया तक हो चुकी हैं। ऐसे ही रहा तो देश को डुबो कर ही इमरान खान मानेंगे।