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महाकुंभ की वायरल सुंदरी हर्षा रिछारिया के लिए माता-पिता ढूंढ रहे दूल्हा, जानें- मॉडलिंग, एंकरिंग के बाद क्यों चुनी आध्यात्मिक दुनिया

Maha Kumbh's viral beauty Harsha Richaria: प्रयागराज महाकुंभ मेले में दुनियाभर से साधू-संत और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। जिनमें से कई संतों और श्रद्धालुओं के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें निकलकर सामने आ रही हैं। इस बीच महाकुंभ में वायरल युवती हर्षा रिछारिया सुर्खियों में बनी हुई हैं। जिन्हें शुरुआत में महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी बताया जा रहा था, लेकिन बाद में उनके मॉडल और एंकर होने की बात सामने आयी। हर्षा ने इस भी खुद ही आकर कहा कि वह साध्वी नहीं हैं। उन्होंने अभी दीक्षा नहीं ली है। वहीं, अब खबर आ रही है कि हर्षा के माता-पिता उनके लिए दूल्हा ढूंढ रहे हैं।

By Abhimanyu 
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Maha Kumbh’s viral beauty Harsha Richaria: प्रयागराज महाकुंभ मेले में दुनियाभर से साधू-संत और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। जिनमें से कई संतों और श्रद्धालुओं के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें निकलकर सामने आ रही हैं। इस बीच महाकुंभ में वायरल युवती हर्षा रिछारिया सुर्खियों में बनी हुई हैं। जिन्हें शुरुआत में महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी बताया जा रहा था, लेकिन बाद में उनके मॉडल और एंकर होने की बात सामने आयी। हर्षा ने इस भी खुद ही आकर कहा कि वह साध्वी नहीं हैं। उन्होंने अभी दीक्षा नहीं ली है। वहीं, अब खबर आ रही है कि हर्षा के माता-पिता उनके लिए दूल्हा ढूंढ रहे हैं।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हर्षा रिछारिया का परिवार मूल रूप से झांसी का रहने वाला है। वर्तमान समय में उनके माता-पिता भोपाल में रहते हैं। हर्षा के पिता उज्जैन में कुंभ देखने आए थे। फिर उनका पूरा परिवार भोपाल में ही बस गया। वहीं, हर्षा रिछारिया के माता-पिता ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उनकी बेटी अध्यात्म की तरफ गई है लेकिन वे उनकी शादी के लिए लड़का देख रहे हैं। एक दो साल में उनकी शादी हो जाएगी। इसके अलावा, हर्षा के पिता ने उन्हें साध्वी कहने पर आपत्ति जतायी है।

रिपोर्ट के अनुसार, हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया का कहना है कि उनकी बेटी के साथ साध्वी का जो टैग लगाया गया है, जिससे उन्हें दिक्कत है। वह खुश हैं कि उनके बच्चे ईश्वर की भक्ति में लीन हैं। उन्होंने कहा कि हर्षा की पांचवीं तक की पढ़ाई झांसी में हुई है। इसके बाद उनका परिवार भोपल आ गया। भोपाल से हर्षा ने बीबीए किया है। साथ ही एंकरिंग का कोर्स किया है। इसके बाद वह एंकरिंग करने लगी।

केदारनाथ के दर्शन के बाद अध्यात्म की तरफ बढ़ा झुकाव

हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया ने बताया कि उनकी बेटी तीन साल पहले केदारनाथ गई थी। जिसके बाद से उसका झुकाव अध्यात्म की तरफ बढ़ गया। हर्षा रंग बिरंगी दुनिया को छोड़कर अध्यात्म की तरफ जाने लगी। दो साल से वह ऋषिकेश में रह रही है। उन्होंने लोगों की सेवा के लिए एनजीओ भी बनाया था। उसने काफी संघर्ष किया है। वह पढ़ाई लिखाई में अच्छी रही है। उसने मेहनत से मुकाम हासिल की है।

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दिनेश रिछारिया पहसे बस झांसी से खजुराहो तक आने वाली बस में कंडक्टर थे। इसके बाद 2004 में उज्जैन कुंभ देखने आए तो भोपाल में आकर बस गए। हर्षा की मां किरण रिछारिया घर में बुटिक चलाती हैं। हर्षा के पिता ने कहा कि वह बेटी की शादी के लिए लड़का देख रहे हैं। उन्होंने उसकी शादी के लिए दो जगह लड़का देखा है। एक देहरादून और दूसरा नासिक में देखा है। इसे लेकर परिवार में चर्चा चल रही है। एक दो साल में उसकी शादी हो जाएगी। वह ब्राह्मण समाज से है उनके बच्चे अध्यात्म की तरफ जा रहे हैं, उन्हें खुशी है।

हर्षा ने बतायी- आध्यात्मिक दुनिया चुनने की वजह

मॉडलिंग, एंकरिंग जैसी ग्लैमरस दुनिया से आध्यात्मिक दुनिया की तरफ झुकाव को लेकर हर्षा रिछारिया ने एक पॉडकास्ट में खुलासा किया है। हर्षा ने न्यूस्कोप के पोडकॉस्ट में कहा कि वह बहुत पहले से किसी गुरु की तलाश थी। उनके मन में पता नहीं क्यों बार बार यह बातें आती थीं कि उन्हें किसी गुरु से दीक्षा लेनी चाहिए। जब वह गुरुदेव (कैलाशानंदगिरि) से पहली बार मिली, उनसे बात की तो लग गया कि उनसे ही गुरु दीक्षा चाहिए। उनसे मिलने के बाद एक ही बात कही कि उन्हें गुरु दीक्षा चाहिए। लेकिन असल में कोई चाहे कि वह किसी को अपना गुरु बना लें तो ऐसा होता नहीं है।

हर्षा ने आगे कहा कि संत, महात्माओं ने कहा है और पुराणों में भी है कि हम इस लायक नहीं हो सकते कि हम अपना गुरु बनाएं। गुरु ही यह तय करते हैं कि हम उनका शिष्य बन सकते हैं या नहीं। गुरु दीक्षा की इच्छा जताने पर गुरुजी ने भी उन्हें कहा कि बताते हैं। उनके ऐसा कहने के बाद उन्होंने शायद गुरुजी से दीक्षा पाने की उम्मीद खो दी थी। फिर एक दिन उनका कॉल आया। गुरु दीक्षा के लिए दिन, तारीख और समय तय हुआ। उन्होंने गुरुदीक्षा दी और वह उनके सानिध्य में आ गईं।

आध्यात्मिक दुनिया में कदम रखने वाली हर्षा ने बताया कि वह पहले से ही मेडिटेशन और साधना कर रही थी। गुरुजी ने भी उन्हें कहा कि वह अच्छी साधना कर लेती हैं। लेकिन गुरुदेव से जो मंत्र उन्हें मिला हुआ और उसके बाद जो साधना उन्होंने की उस साधना में उन्हें बहुत सी अनुभूतियां हुईं। इन अनुभूतियों को गुरुदेव से शेयर करती रही हैं। उन्हें बताती रही कि ये हो रहा है, वो हो रहा है।

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हर्षा ने बताया कि वह अब तक दस बार केदारनाथ और चार बार बद्रीनाथ का दर्शन कर चुकी हैं। उन्हें साधु, संत, अघोरी इन लोगों से मिलना पसंद है। हमारे मन मे बहुत से सवाल होते हैं। वह इन सवालों का जवाब खोजती रहती हैं, साधू-संतों गुरुदेव से पूछती रहती हैं। जो नहीं पूछती लेकिन गुरुजी जब उन चीजों के बारे में बताते हैं तो ध्यान से सुनती रहती हैं। वह चीजों को सीखना चाहती हैं, उन्हें सुनना ज्यादा पसंद है। बता दें कि संगम तट पर निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशागिरि के सानिध्य में रह रहीं हर्षा पेशवाई के दौरान दिए एक इंटरव्यू के बाद ऐसी वायरल हुईं थीं।

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