पीपल का वृक्ष पशु, पंछियों औन मानव को शीतल छाया देता है। युगों, युगों से पीपल के वृक्ष की पूजा होती आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस वृक्ष में त्रिदेव का निवास होता है।
Peepal: पीपल का वृक्ष पशु, पंछियों औन मानव को शीतल छाया देता है। युगों, युगों से पीपल के वृक्ष की पूजा होती आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस वृक्ष में त्रिदेव का निवास होता है।आयुर्वेद में पीपल को चमत्कारी वृक्ष बताया गया है। कई प्रकार के अयाध्य रोगों के लिए इस वृक्ष के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।वृक्ष में त्रिदेव यानी जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और ऊपर के भाग में भगवान शिव का वास होता है।
पीपल के पेड़ को वासुदेव भी कहते है। ज्योतिष शास्त्र में पीपल के वृक्ष को लेकर कई तरह के उपाय बताए है। ग्रह दोष के लिए पीपल की पूजा उपाय बताया गया है।शनिवार केक दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक जलाने से शनि ग्रह की बाधा से मुक्ति मिलती है।पीपल का पेड़ 60 से 80 फीट तक लंबा हो सकता है। यह पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है। पीपल का पेड़ ही रात में ऑक्सीजन देता है। पीपल का पेड़ और पेड़ों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन देता है और दिन में 22 घंटे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है।इसलिए पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं। इस पेड़ को भारत का राष्ट्रीय वृक्ष भी कहते हैं
पीपल के वृक्ष का मंत्र
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।