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शेख हसीना के साथ PM मोदी की द्विपक्षीय बैठक, कहा-25 सालों के अमृत काल में भारत-बांग्लादेश मित्रता नई ऊंचाईंया छूएगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। दोनों देश के नेताओं ने भारत-बांग्लादेश के बीच लगातार गहरे होते रिश्तों पर एक-दूसरे को बधाई दी और कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। दोनों देश के नेताओं ने भारत-बांग्लादेश के बीच लगातार गहरे होते रिश्तों पर एक-दूसरे को बधाई दी और कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)  ने कहा कि, पिछले वर्ष हमने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ, हमारे diplomatic संबंधों की स्वर्ण जयंती, और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी को एक साथ मनाया था। पिछले वर्ष 6 दिसंबर को हमने पहला ‘मैत्री दिवस’ भी साथ मिलकर पूरी दुनिया में मनाया।

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उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री शेख हसीना जी (Prime Minister Sheikh Hasina)  की यात्रा हमारी आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान हो रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि अगले 25 सालों के अमृत काल में भारत-बांग्लोदश मित्रता नई ऊँचाइयाँ छूएगी। आज बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा development partner और क्षेत्र में हमारा सबसे बड़ा trade partner है। हमारे घनिष्ठ सांस्कृतिक और people-to-people संबंधों में भी निरंतर वृद्धि हुई है।

पीएम मोदी (Pm Modi) ने कहा कि, हमने IT, अंतरिक्ष और nuclear एनर्जी जैसे sectors में भी सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया, जो हमारी युवा पीढ़ियों के लिए रूचि रखते हैं। हम जलवायु परिवर्तन और सुंदरबन जैसी साझा धरोहर को संरक्षित रखने पर भी सहयोग जारी रखेंगे। आज हमने कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा।

साथ ही कहा कि, ऐसी 54 नदियाँ हैं जो भारत-बांग्लादेश सीमा से गुज़रती हैं, और सदियों से दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी रही हैं। ये नदियाँ, इनके बारे में लोक-कहानियां, लोक-गीत, हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत के भी साक्षी रहे हैं। आज हमने आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग पर भी जोर दिया। 1971 की spirit को जीवंत रखने के लिए भी यह बहुत आवश्यक है कि हम ऐसी शक्तियों का मिल कर मुकाबला करें, जो हमारे आपसी विश्वास पर आघात करना चाहती हैं।

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